तालिबान ने दानिश सिद्दीक़ी को बर्बरता से मारा था- रिपोर्ट

Danish Siddiqui/ Instagram
नई दिल्ली: पत्रकार दानिश सिद्दीक़ी की मौत को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तालिबान ने वरिष्ठ पत्रकार को बर्बता से मारा था। पुलित्ज़र पुरस्कार से सम्मानित दानिश सिद्दीक़ी की मौत पर अमेरिका की समाचार पत्रिका ‘वॉशिंगटन एग्ज़ामिनर’ ने खुलासा किया है।
‘वॉशिंगटन एग्ज़ामिनर’ के मुताबिक दानिश को एक मस्जिद में मारा गया था। 39 वर्षिय रॉयटर्स के पत्रकार की मौत महज़ तालिबान और अफ़गान सेना के बीच चल रहे संघर्ष के दौरान नहीं बल्कि जानबूझ कर साजिश के तहत अंजाम दी गई थी। जिसके लिए तालिबान की तरफ़ से अफ़सोस भी जताया गया था।
मीडिया रिपोर्टस् में कहा गया था कि दानिश की मौत अफ़गान लड़ाकों और तालिबान के दौरान संघर्ष में कंधार के स्पिन बोल्डक इलाकें में हुई थी।
तब तालिबान ने एक बयान जारी कर उनकी मौत में अपना हाथ होने से इनकार भी किया था।
तालिबान ने अपने बयान में कहा था, “हमें भारतीय पत्रकार की मौत का खेद है। इस इलाके में रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार हमें सूचित करें और हम उनका ख़याल रखेंगे।”
मस्जिद में केवल इस लिए हमला किया गया क्योंकि दानिश वहां मौजूद थे
लेकिन अब तालिबान लड़ाकों के दावे गलत साबित हो रहे हैं। क्योंकि वाशिंगटन एग्ज़ामिनर की रिपोर्टस् में तालिबान के बयान गलत दिखाई पड़ते हैं।
रिपोर्टस् के मुताबिक दानिश और अफ़गान सेना स्पिन बोल्डक शहर में एक साथ थे। वो वहां तालिबान और अफ़गान के बीच संघर्ष को कवर कर रहे थे। दरअसल, कंधार के स्पिन बोल्डक ज़िले में तालिबान का कब्ज़ा है।
रिपोर्ट के अनुसार, “जब अफ़गान सेना और दानिश एक कस्टम पोस्ट से थोड़ी दूरी पर थे तभी उन पर तालिबान की ओर से हमला हुआ, जिसके बाद अफ़गान सेना को दो टुकड़ियों में बंटना पड़ा। इसी दौरान अफ़गान सेना के कमांडर और कुछ सैनिक दानिश से अलग हो गए।”
संघर्ष के दौरान दानिश गोली लगने से केवल घायल हुए थे, जिसके बाद उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए पास की एक मस्जिद ले जाया गया था।
जैसे ही तालिबान लड़ाको को ये पता चला था कि सिद्दीक़ी को मस्जिद में ले जाया दया है, तभी तालिबान ने मस्जिद पर हमला कर दिया।
रिपोर्ट में स्थानीय लेवल पर की गई जांच के आधार से लिखा गया है कि तालिबान ने मस्जिद पर सिर्फ़ इसलिए हमला किया क्योंकि वहां सिद्दीक़ी थे।
रिपोर्ट में इस बात की जानकारी भी दी गई है कि, “जब तालिबान ने सिद्दीक़ी को पकड़ा था तब वो ज़िंदा थे। तालिबान लड़ाकों ने उनकी पहचान की पुष्टि करने के बाद उन्हें गोली मारी।”
‘पहले सिर पर मारा फिर गोलियों से किया शरीर छलनी’

अमेरिकन एंटरप्राइज़ इंस्टिट्यूट के वरिष्ठ फ़ेलो माइकल रुबिन के बताते हैं, “सिद्दीक़ी की मौत के बाद उनकी जो तस्वीरें सोशल मीडिया पर सर्कुलेट की गई हैं उनमें उनके चेहरे को साफ़ तौर से पहचाना जा सकता है।”
रुबिन ने लिखा है, “वीडियो में मैंने देखा है कि तालिबान के लड़ाकों ने पहले सिद्दीक़ी के सिर पर खूब मारा और फिर गोलियों से उनका शरीर छलनी कर दिया।”
रिपोर्ट में इस बात का जिक्र भी किया गया है कि तालिबान ने जिस तरह सिद्दीक़ी को निशाना बनाकर उनकी हत्या की है और गोलियों से उनका शरीर छलनी किया उससे साफ़ पता चलता है कि तालिबान ने युद्ध के अंतरराष्ट्रीय नियमों की ज़रा भी परवाह नहीं की।
कॉपी- आरती अग्रावत