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Sexual Assault: रक्षक मां बन गई भक्षक, बेटी को दुष्कर्म के लिए धकेला

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Sexual Assault: केरल की एक कोर्ट ने सोमवार को 42 वर्षीय एक महिला को अपनी ही नाबालिग बेटी से बलात्कार के लिए उकसाने के आरोप में 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। विशेष न्यायाधीश रेखा आर ने महिला के कृत्य को अक्षम्य और मातृत्व पर धब्बा बताया, जबकि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत मामले में नरम रुख अपनाने की उसकी याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जब 7 साल के बच्चे ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की तो मां ने बच्चे से कहा था कि “यह ठीक है”। अदालत को आगे बताया गया कि मां बच्चे को उस अपराधी के घर ले जाएगी जिसने उसके साथ बलात्कार किया था। सुनवाई के दौरान बच्ची ने यह भी बताया कि उसकी मां की मौजूदगी में भी कई बार दुष्कर्म हुआ।

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Sexual Assault: मां ने जानबूझकर की मदद

कोर्ट ने कहा कि इन सबसे साबित होता है कि मां ने जानबूझकर मुख्य आरोपी की मदद की थी। न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि मां द्वारा की गई ऐसी हरकतें POCSO अधिनियम की धारा 16 के तहत “उकसाने” के समान हैं। कोर्ट ने कहा कि जिस बच्ची को खुशी-खुशी समय बिताना चाहिए था, उसे अपनी ही मां के कृत्यों के कारण गंभीर यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। अदालत ने कहा कि आरोपी मां, जिसे बच्चे की रक्षक और संरक्षक माना जाता था, वह बेटी के बचपन को बर्बाद करने और उसे पारिवारिक माहौल से वंचित करने के लिए जिम्मेदार थी।

Sexual Assault: कक्षा-2 की थी छात्रा

यह मामला एक बच्ची से संबंधित है, जिसके बारे में कहा जाता है कि मार्च 2018 और सितंबर 2019 के बीच एक व्यक्ति द्वारा कई बार उसके साथ बलात्कार किया गया, जब वह कक्षा I और II में पढ़ रही थी। अदालत को बताया गया कि बच्ची के साथ उसके ही घर और अपराधी के घर पर बलात्कार किया गया। उस समय वह 6-7 साल की थी और बाद में उसने आश्रय गृह में एक परामर्शदाता को यौन उत्पीड़न के बारे में बताया। जब मामला ट्रायल कोर्ट में पहुंचा तब तक मुख्य आरोपी की मृत्यु हो गई। हालांकि, बच्चे की माँ पर जानबूझकर अपराध को बढ़ावा देने और पुलिस को इसकी सूचना न देने के आरोप का सामना करना पड़ा।

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