Chhath Puja 2023: क्यों मनाई जाती है? क्या आप इसकी सही वजह जानते हैं?

chhath puja 2023

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सनातन धर्म में छठ पूजा त्रेतायुग से मनाई जाती है। शास्त्रों में कहा गया है कि माता सीता ने पहली बार छठ पूजा (Chhath Puja) की थी। तब से, कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक हर वर्ष छठ पूजा मनाई जाती है। 17 नवंबर से 20 नवंबर तक इस वर्ष छठ पूजा है। विवाहित महिलाएं इस व्रत को करती हैं। पुरुष भी छठ पूजा में सूर्य देव की उपासना करते हैं ताकि वे विशेष कार्य में सफल हो सकें। पुरुष इस दौरान नदी या सरोवर में खड़े होकर सूर्य देव की पूजा करते हैं। क्या आपको पता है कि छठ पूजा क्यों मनाई जाती है और कब से इसे मनाया जाता है? अब छठ की कथा जानते हैं-

सनातन शास्त्रों के अनुसार, जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब ने द्वापर युग में कुष्ट रोग से पीड़ित हो गया था। उन्हें भगवान श्रीकृष्ण ने सूर्य की पूजा करने की सलाह दी। बाद में साम्ब ने सूर्य देव की पूजा की। सूर्य देव की पूजा करने से साम्ब कुष्ट रोग से बच गया था। तब साम्ब ने बारह सूर्य मंदिर बनाए। इनमें सबसे प्रसिद्ध ओडिशा का कोणार्क सूर्य मंदिर है। बिहार के औरंगाबाद में भी एक मंदिर है। यह मंदिर देवार्क सूर्य मंदिर कहलाता है।

ऐसा कहा जाता है कि पहले देवताओं और असुरों के बीच हुआ युद्ध में देवताओं ने हारी। उस समय, देव माता अदिति ने छठी मैया को जन्म देने के लिए इसी स्थान (देवार्क सूर्य मंदिर) पर कठिन तपस्या की। इस तपस्या से प्रसन्न होकर छठी मैया ने अदिति को एक तेजस्वी पुत्र दिया। बाद में छठी मैया ने आदित्य भगवान को जन्म दिया। आदित्य भगवान ने देवताओं को असुरों पर विजयी बनाया था। पुत्र प्राप्ति के लिए छठ पूजा जाती है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से सुख और सौभाग्य बहुत बढ़ जाते हैं।