रूपनगर के 75 गांवों में सिंचाई सुविधा के लिए नहरी पानी पर जल्द होगा फैसला: मंत्री बरिंदर गोयल

पंजाब के जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल
Chandigarh : पंजाब के जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने आज विधानसभा को जानकारी दी कि जिला रूपनगर के ब्लॉक नूरपुर बेदी के 75 गांवों को सिंचाई के लिए नहरी पानी देने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं और जल्द ही इस संबंध में कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
रोपड़ से विधायक दिनेश कुमार चड्डा द्वारा पूछे गए सवाल कि ज़िला रोपड़ के 75 गांवों को सिंचाई के लिए नहरी पानी देने के लिए की जाने वाली फिजीबिलिटी स्टडी का क्या स्टेटस है, के जवाब में कैबिनेट मंत्री ने कहा कि इस संबंध में दो एजेंसियों द्वारा रुचि की अभिव्यक्ति ((Expressions of Interest -EOI) प्रस्ताव पेश किए गए हैं, जो अंतिम फैसले के लिए उच्च अधिकारियों की कमेटी के पास समीक्षा अधीन है। उन्होंने कहा कि तकनीकी संभावना और फंडों की उपलब्धता के अनुसार आगे आवश्यक कार्रवाई करके इस संबंध में केंद्रीय जल आयोग को मंजूरी के लिए आगे भेजा जाएगा।
दो बार रुचि की अभिव्यक्ति (EOI) नोटिस जारी किए गए
बरिंदर कुमार गोयल ने बताया कि प्रोजेक्ट की व्यवहार्यता की जांच के लिए दो बार रुचि की अभिव्यक्ति (EOI) नोटिस जारी किए गए। इस प्रक्रिया में दो एजेंसियों ने हिस्सा लिया था। हालांकि जब एजेंसियों से प्रोजेक्ट को विस्तृत विवरण देने के लिए कहा गया, तो वे संतोषजनक उत्तर देने में असफल रहीं। तब EOI को रद्द करना पड़ा और फिर से EOI जारी किया गया जिसमें पुनः दो एजेंसियों ने आवेदन किया था।
यह क्षेत्र पहाड़ी है और प्राकृतिक धाराओं से घिरा हुआ है
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि यह क्षेत्र पहाड़ी है और प्राकृतिक धाराओं से घिरा हुआ है। ऊंचा होने के कारण इस क्षेत्र के लिए नहरी प्रणाली के माध्यम से सिंचाई योग्य जल प्रदान करना संभव नहीं है। इसलिए समूचे प्रोजैक्ट और इसके प्रभावों का पता लगाने के लिए कि इस क्षेत्र में पानी कैसे पहुंचाया जा सकता है, इसके लिए EOI जारी किया गया था। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में संभावित स्रोत तीन प्रकार के हैं, जिनसे पानी पहुंचाया जा सकता है। इनमें से पहले नंगल डैम से पाइप नेटवर्क के माध्यम से या डैम से लिफ्टिंग के द्वारा पानी लेकर वहां पहुंचाया जा सकता है। दूसरा सवां नदी से पानी लेकर स्टोर करके पानी पहुंचाया जा सकता है, लेकिन इसमें दिक्कत यह है कि सवां नदी मॉनसून में चलती है और तीन-चार महीनों बाद वहां पानी नहीं होता। तीसरा तरीका श्री आनंदपुर साहिब हाइडल चैनल से साइलोस के माध्यम से या ओवरहेड सर्विस रिजर्वियर के माध्यम से पानी एकत्र करके उसे लिफ्टिंग के द्वारा इस क्षेत्र को दिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इनमें से बेहतर तरीके का चुनाव करने के लिए ही EOI टेंडर जारी किया गया था।
उन्होंने बताया कि एजेंसियों की प्रोजेक्ट रिपोर्ट अंतिम फैसले के लिए निगरान इंजीनियरों की कमेटी के पास समीक्षा अधीन है। निगरानी इंजीनियर सारी स्टडी करेंगे और उसके बाद इसकी फिजीबिलिटी चेक करवाकर आगे की कार्रवाई के लिए केंद्रीय जल आयोग को भेजा जाएगा।
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