Caste Census: अखिलेश यादव का बयान, ‘जाति जनगणना से समाज जुड़ेगा..’

Akhilesh Yadav,
Caste Census: लोकसभा चुनाव से पहले जाति जनगणना का मुद्दा गरमा गया है। बिहार की नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सरकार के जाति जनगणना के आंकड़ों को सार्वजनिक करने के बाद से इस पर सियासी घमासान छिड़ गया है। विपक्ष की तरफ से लगातार जातियों के आधार पर जनगणना कराने की मांग उठ रही है। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने एक बार फिर जाति जनगणना कराने की मांग की है। सपा मुखिया ने कहा है कि ऐसा करने से समाज जुड़ेगा।
Caste Census: जाति जनगणना से समाज जुड़ेगा – अखिलेश यादव
Caste Census: अखिलेश यादव ने आज यानी गुरुवार (12 अक्टूबर) को कहा कि जाति आधारित जनगणना सभी को एक साथ लाएगी। जो जातियां पीछे रह गई थीं, जिन्हें अभी तक सम्मान और अधिकार नहीं दिया गया है, और जो सोचते हैं कि उनकी जनसंख्या अधिक है लेकिन उन्हें उसके अनुसार कुछ नहीं मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि जाति- आधारित जनगणना हमारे समाज को एकीकृत करेगी। सभी जातियों को अधिकार और सम्मान मिलेगा। उन्होंने कहा कि जो व्यव्सथा बाबा साहेब आंबेडकर ने की थी। उन्होंने जाति के हिसाब से आरक्षण दिया था। अगर जाति जनगणना होगी तो सभी जातियों को हक मिलेगा।
जाति जनगणना के मुद्दे पर पक्ष-विपक्ष की राय
Caste Census: वैसे तो जाति जनगणना की मांग दशकों से उठती रही है। राजनीतिक विशेलेषकों की मानें तो एनडीए का मानना है कि इस प्रकार की जनगणना कराने से उसका कोर वोटर नाराज हो सकता है। वहीं, 2024 का चुनाव एक बैनर तले लड़ने के लिए बना विपक्ष का इंडिया गठबंधन (I.N.D.I.A Alliance) इसका पक्षधर है।
इंडिया गठबंधन के घटक दल जाति जनगणना के कराने की मांग कर रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि इससे यह पता लगेगा कि किस जाति की कितनी संख्या है? इससे सभी जातियों को मिलने वाले आरक्षण समेत तमाम सरकारी सुविधाएं सुनिश्चित की जा सकेंगी कि जो उन जातियों को मिल रहा है, वो उचित मिल रहा है या नहीं।
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