अंधों को रोशनी देगी तीसरी आंख ,त्रिनेत्र से देख सकेंगे दृष्टिहीन लोग

नोएडा: ग्रेटर नोएडा शहर के नॉलेज पार्क में स्थित IIMT कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के एक छात्र ने (थर्ड आई) नामक एक डिजिटल चश्मे का आविष्कार किया है। इन चश्मों का इस्तेमाल आने वाले दिनों में नेत्रहीन कर सकेंगे।
इस चश्मों की मदद से एक सामान्य दृष्टिबाधित व्यक्ति की तरह बिना किसी सहारे के बाजार, शॉपिंग मॉल और ऑफिस अकेले जा सकेंगे।
नेत्रहीन लोग इस चश्मे को पहनकर आसानी से बाजार और ऑफिस जा सकते हैं। इस दौरान उनके सामने कोई वाहन आ रहा हो, मार्ग में गड्ढा अथवा कोई दूसरी बाधा है तो चश्मे में लगा कैमरा, और सेंसर इसे चिन्हित कर सूचना देते चलेंगे। चश्मा बोलकर बता देगा कि सावधान आगे खतरा है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सिद्धांत पर काम करता है ये चश्मा
फाइनल ईयर के छात्र सौरभ पटेल ने बताया कि यह ग्लास आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सिद्धांत पर काम करता है। इस ग्लास में इनबिल्ट हाई क्लैरिटी कैमरा है जो लाइन, जेब्रा क्रॉसिंग या कार आने या आने वाले व्यक्ति जैसी सभी चीजों का पता लगाएगा और चश्मे में लगे इनबिल्ट स्पीकर के जरिए व्यक्ति को सूचित करेगा। यदि अंधा व्यक्ति किसी व्यक्ति से बार-बार मिलता है तो यह उसके चेहरे को भी कैप्चर करेगा और जब वही व्यक्ति दोबारा आएगा तो यह ऑटोमेटिक रूप से चश्मा लगाए हुए व्यक्ति को बता देगा कि सामने से कौन आ रहा है।

पटेल ने आगे कहा कि आईआईएमटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के अनुसंधान वैज्ञानिक मयंक राज ने भारत सरकार से रिटायर साइंटिस्ट डॉ. एस.के. महाजन, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के एचओडी डॉ. के.रामा कृष्णा के मार्गदर्शन में इस चश्मे पर काम हुआ है।
वैज्ञानिक और प्रोफेसर डॉ. एस.के. महाजन के मुताबिक, चश्मे को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि अगर दृष्टिबाधित व्यक्ति को चोट लग जाए या वह बीमार हो जाए तो वह अपने नजदीकी अस्पताल से अपने आप संपर्क करेगा कि प्रभावित व्यक्ति इस जगह पर बीमार है। वहीं इसे बनाने में अब तक 20,00 रुपये ही खर्च किए गए हैं। इस खोज पर कॉलेज ग्रुप के प्रबंध निदेशक मयंक अग्रवाल ने कहा है कि यह चश्मा नेत्रहीनों के जीवन में उजाला करने वाला साबित होगा।