Mountain Man दशरथ मांझी जयंती: प्रेम में विशाल पहाड़ तोड़ रास्ता निकालने के ज़ज्बे की कहानी

Mountain Man: बिहार के गया ज़िले के गहलौर गांव की एक कहानी बड़ी मशहूर है। कहानी हौसले के दम पर अपनी जिद पूरी करने की, कहानी प्रेम की ख़ातिर जिंदगी वार देने की और कहानी माउंटेनमैन बन जाने की।
गहलौर गाँव में जन्मा एक गरीब मजदूर दशरथ मांझी जिसकी आग ने पहाड़ के पत्थर को भी चकनाचूर कर दिया। दशरथ मांझी मुसहर समुदाय से सम्बंध रखते थे। गहलौर से वजीरगंज जाने के लिए पहाड़ को घूम कर लंबे पार करना पड़ता था। हर छोटी-बड़ी जरुरतों के लिए गहलौर गांव के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता था। एक दिन दशरथ मांझी जंगल में लकड़ी काट रहे थे। उनकी पत्नी फाल्गुनी देवी उनके लिए भोजन लेकर जा रही थी और अचानक वो पहाड़ से फिसलकर गिर जाती हैं। चूंकि नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पहाड़ के दूसरी तरफ था, इस वजह से फाल्गुनी देवी की मौत अस्पताल ले जाने के क्रम में हो जाती है।

पत्नी की मौत के बाद दशरथ माँझी ने संकल्प लिया कि वह अकेले अपने दम पर पहाड़ के बीचों बीच से रास्ता बनाएंगे और किसी और के साथ ऐसा हादसा नहीं होने देंगे जो उनकी पत्नी के साथ हुआ।
संकल्प लेने के साथ उन्होंने अपने हाथ में छेनी और हथौड़ा लिया। हथौड़े और छेनी की मदद से ही उन्होंने अकेले ही 360 फुट लंबी, 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊँचे पहाड़ को काट के एक सड़क बना डाली।
पहाड़ तोड़ते हुए दशरथ मांझी
22 वर्षों के अथक परिश्रम के बाद गहलौर से वजीरगंज का रास्ता मात्र 15 किलोमीटर हो गया जो पहले 55 कि.मी घूम के जाना पड़ता था।
साल 2006 में दशरथ मांझी का नाम में ‘पद्म श्री’ के लिए भेजा गया। रिपोर्टों में कहा जाता है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें सम्मान भाव से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया था।
कैंसर के इलाज के दौरान 17 अगस्त 2007 को उनका निधन हो गया, मगर आज भी लोग उन्हें जूनून के मिसाल की तौर पर देखते हैं।