
सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह कानून (Sedition Law) पर रोक लगाई, कोई नई एफआईआर दर्ज नहीं होगी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अब कोई FIR दर्ज नहीं की जाएगी। मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी। जब तक कि केंद्र इस ब्रिटिश-युग के कानून के प्रावधानों की फिर से जांच नहीं करता, जिसे चुनौती दी गई है।
दरअसल देशद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के मामले पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र ने दलील दी कि इस कानून को संवैधानिक बेंच ने सही ठहराया है। लिहाजा इस पर रोक न लगाई जाए। कोर्ट ने कहा कि राजद्रोह कानून फिलहाल निष्प्रभावी रहेगा। हालांकि जो लोग पहले से इसके तहत जेल में बंद हैं, वो राहत के लिए कोर्ट का रुख कर सकेंगे।
आरोपियों अन्य धाराओं के तहत कार्यवाही जारी रहेगी-SC
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मतलब यह नहीं है कि वर्तमान में जेल में बंद आरोपी को अब रिहा कर दिया जाएगा क्योंकि केवल देशद्रोह कानून पर रोक लगाई गई है और सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इन आरोपियों के खिलाफ कानून की अन्य धाराओं के तहत कार्यवाही जारी रहेगी। वे जमानत के लिए अदालतों का दरवाजा खटखट सकते हैं। लिहाजा, अब ये उस कोर्ट पर निर्भर करेगा जहां जमानत की अर्जी लगाई जाएगी या अर्जी लंबित है।
प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र के हालिया हलफनामें का हवाला देते हुए कहा, हमें लगता है कि राज्य ने कहा कि राज्य ने कहा है कि वे कुछ करना चाहते हैं कि वे कुछ करना चाहते है…हमें अनुचित नहीं होना चाहिए। बेंच में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली भी शामिल है। बेंच ने यह भी कहा हमारे विशिष्ट सवाल दो मुद्दों को लेकर है। पहला लंबित मामलों के बारे में और दूसरा, यह कि सरकार भविष्य के मामलों पर कैसे गौर करेगी। ये दो मुद्दे है, और कुछ नहीं।