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RPN सिंह की बीजेपी में एंट्री, स्वामी प्रसाद मौर्य की बढ़ी चिंता, क्या पडरौना में पलटेगी बाजी?

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मंगलवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री रतनजीत प्रताप नारायण सिंह यानी RPN सिंह ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए. आरपीएन सिंह के अचानक बीजेपी में आने की बड़ी वजह स्वामी प्रसाद मौर्य को बताया जा रहा है, जो हाल में सपा में शामिल हुए हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य और आरपीएन सिंह, कुशीनगर की राजनीति के दो अलग-अलग ध्रुव हैं और दोनों के बीच राजनीतिक नूराकुश्ती 2009 से चल रही है. जो अब तक चली आ रही है.

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बता दे RPN सिंह और स्वामी प्रसाद मौर्य के बीच सियासी प्रतिद्वंदता की शुरुआत साल 2009 में हुई, जब दोनों एक-दूसरे के सामने लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे. उस वक्त स्वामी प्रसाद मौर्य, बसपा के प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही मायावती सरकार में कद्दावर मंत्री थे. साल 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी आरपीएन सिंह ने स्वामी प्रसाद मौर्य को पटखनी दे दी थी और मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय मंत्री बन गए थे.

RPN सिंह ने स्वामी प्रसाद मौर्य को दी थी मात

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जीतने वाले आरपीएन सिंह को 2.23 लाख वोट मिले थे, जबकि बसपा के स्वामी प्रसाद मौर्य 2.02 लाख वोट पाकर दूसरे नंबर पर थे. जब आरपीएन सिंह लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे, तब वह पडरौना सीट से विधायक थे. सांसद बनने के बाद आरपीएन सिंह ने विधायकी छोड़ी. इसके बाद पडरौना सीट से अपनी मां मोहिनी देवी को चुनाव लड़वाया. स्वामी प्रसाद मौर्य भी इस विधानसभा उपचुनाव में बसपा के टिकट पर मैदान में आ गए.

स्वामी मौर्य ने लिया था बदला

पड़रौना सीट पर 2009 में हुए विधानसभा उपचुनाव में बसपा के प्रत्याशी रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने आरपीएन सिंह की मां मोहिनी देवी को बड़े अंतर से करारी शिकस्त दी और पडरौना सीट से विधानसभा के सफर की शुरुआत की. इसके बाद 2012 का चुनाव भी पडरौना सीट से बसपा के टिकट पर स्वामी प्रसाद मौर्य जीतने में कामयाब हो गए. स्वामी प्रसाद मौर्य का पडरौना में कद बढ़ रहा था, लेकिन आरपीएन सिंह 2014 का लोकसभा चुनाव हार गए.

पडरौना में मजबूत होते जा रहे थे स्वामी

इसके बाद साल 2017 के विधानसभा चुनाव में स्वामी प्रसाद मौर्य फिर बीजेपी में चले आएं और पडरौना सीट से ऐतिहासिक जीत दर्ज की. 2012 और 2017 में आरपीएन सिंह ने स्वामी प्रसाद मौर्य को हराने की कोशिश की, लेकिन वह कामयाब नहीं हुए. इसी बीच 2019 के चुनाव में फिर से आरपीएन सिंह लोकसभा का चुनाव हार गए. इस हार के साथ ही आरपीएन सिंह की कुशीनगर और खासतौर पर पडरौना की सियासत पर पकड़ ढीली पड़ गई.

पडरौना सीट से चुनाव लड़ सकते हैं RPN सिंह

अब जब स्वामी प्रसाद मौर्य समाजवादी पार्टी की साइकिल पर सवार हो गए हैं तो आरपीएन सिंह बीजेपी में शामिल होकर कुशीनगर और पडरौना की सियासी पकड़ को और मजबूत करने में जुट गए हैं. RPN आरपीएन सिंह 1996, 2002 और 2007 का विधानसभा चुनाव पडरौना सीट से जीते थे. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें बीजेपी एक बार फिर पडरौना सीट से प्रत्याशी बना सकती है. अगर आरपीएम सिंह को टिकट मिल जाता है तो फिर से दोनों के बीच कड़ी प्रतिद्व्दंव्ता दिखाई देगी.

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