
बिहार की राजनीति में इन दिनों हलचल तेज हो गई है। बीजेपी और जदयू में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। क्योंकि बीते कुछ दिनों में हुए सियासी घटनाक्रम को देखकर कई संकेत मिल रहे हैं। चर्चा यहां तक पहुंच गई है कि नीतीश कुमार की पार्टी बीजेपी के साथ गठबंधन खत्म कर सकती है। जेडीयू ने 11 अगस्त को अपने सभी सांसद और विधायक को पटना बुलाया है। जेडीयू के सभी विधायकों और विधान पार्षदों को मंगलवार को बैठक के लिए बुलाया गया है। मुख्यमंत्री आवास में मंगलवार को ये बैठक बुलाई गई है।
वहीं आरजेडी की ओर से कल मंगलवार की सुबह 9 बजे राबड़ी आवास में बैठक बुलाई गई है। तेजस्वी यादव ने भी अपने सभी विधायकों को पटना में ही रहने का निर्देश दिया है। सियासी गलियारे में चर्चा यह भी है कि नीतीश कुमार एक बार फिर बीजेपी का दामन छोड़ राजद के साथ जाने वाले हैं।
जानिए कैसे मिल रहे संकेत
- सबसे पहले 17 जुलाई को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में तिरंगे को लेकर देश के सभी मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई गई थी, मगर नीतीश कुमार इस बैठक में शामिल नहीं हुए।
- 22 जुलाई को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के विदाई समारोह में नीतीश कुमार को आमंत्रित किया गया था. वो नहीं पहुंचे।
- 25 जुलाई को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में भी नीतीश कुमार को आमंत्रित किया गया था।वो नहीं पहुंचे।
- 7 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए। इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कोई कारण अब तक नहीं बताया गया। मुख्यमंत्री के करीबी सूत्रों के अनुसार कोरोना संक्रमण के बाद की शारीरिक कमजोरी का हवाला देते हुए नीतीश बैठक में शामिल नहीं हुए।
- नीतीश कुमार भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की ओर सहयोगियों को केंद्रीय मंत्रियों के रूप में सांकेतिक प्रतिनिधित्व की पेशकश पर भी नाराज हैं।
- मुख्यमंत्री नीतीश इस बात को लेकर भी नाराज चल रहे हैं कि JDU के केवल एक नेता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में जगह ऑफर की गई।