छत्तीसगढ़ में आरक्षण पर सियासी रार, राज्यपाल बोलीं, ‘मार्च तक करो इंतजार’

छत्तीसगढ़ में आरक्षण (Chhattisgarh Reservation) को लेकर छिड़ा सियासी घमासान फिलहाल खत्म होता दिखाई नहीं दे रहा। राज्यपाल अनुसुइया उइके ने बयान दिया है कि आरक्षण को लेकर मार्च तक इंतजार कीजिए। रायपुर में एक कार्यक्रम में पहुंची राज्यपाल अनुसुइया उइके ने पत्रकारों के सवाल के जवाब में ये बात कही
राज्यपाल के बयान पर CM भूपेश बघेल का तंज
राज्यपाल अनुसुइया उइके के इस बयान के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने चिर परिचित अंदाज में राज्यपाल पर बयानी हमला बोल दिया साथ-साथ बीजेपी को भी निशाने पर ले लिया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तंज कसा कि मार्च तक का इंतजार क्यों? क्या राज्यपाल मुहूर्त देख रही हैं? मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोप लगाया कि ये सब कुछ बीजेपी के इशारे पर हो रहा है। जिसकी वजह से प्रदेश के लाखों युवाओं के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में आरक्षण पर ऐसे शुरू हुई सियासत
- हाईकोर्ट ने 19 सितंबर 2022 को 58% आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया था
- 58% में SC को 12%, ST को 32% और OBC 14% आरक्षण मिल रहा था
- हाईकोर्ट के फैसले के बाद भूपेश बघेल सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था
- 1 दिसंबर 2022 को विशेष सत्र में दो संशोधन विधेयक पास कराए गए थे
- संशोधन विधेयक में आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 76% कर दिया गया था
- 76% में ST को 32%, SC को 13% OBC को 27% आरक्षण दिया गया
- नए संशोधन विधेयक में EWS के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की
- 76% आरक्षण की फाइल पर राज्यपाल ने अब तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार ये कह रहे हैं कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद और राज्यपाल की मनमानी से आरक्षण फाइनल न होने की वजह से राज्य में तमाम भर्तियां रुक गई हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर बीजेपी का पलटवार
इस आरोप को लेकर बीजेपी कह रही है कि हाईकोर्ट अपने यहां निकाली कई नौकरियों में ये साफ कर दिया है कि छत्तीसगढ़ में सभी भर्तियां 2012 के 50 फीसदी आरक्षण के प्रावधान के तहत जारी रहेंगी, यानी कि हाईकोर्ट ने 58 फीसदी आरक्षण को असंवैधानिक करार देने के साथ-साथ 50 फीसदी आरक्षण को मान्य किया है।