पाकिस्तान का ‘आतंकवादी’ चेहरा हुआ बेनकाब, आतंकवादी तबारक हुसैन का शरीर किया कबूल

भारत और विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) में आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की भूमिका एक बार फिर उजागर हो गई है। इस्लामाबाद ने आतंकवादी तबारक हुसैन (Tabarak Hussain) के शव को स्वीकार कर लिया जिसकी शनिवार को हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई थी।
हुसैन एक आत्मघाती आतंकवादी हमलावर था जिसने पाकिस्तान से भारत में घुसपैठ की थी। इस आतंकवादी को भारतीय सेना ने 21 अगस्त को राजौरी जिले के नौशेरा में अपनी घुसपैठ की कोशिश के दौरान नियंत्रण रेखा पर पकड़ लिया था।
आतंकी का शव चक्कन दा बाग एलओसी ट्रेड सेंटर पर पाकिस्तानी सेना को सौंप दिया गया। घुसपैठ के प्रयास के दौरान सेना की गोलीबारी में हुसैन घायल हो गया था और उसने बाद में एक टीवी न्यूज़ चैनल को बताया था कि वह लोग यहां सेना के ठिकानों को निशाना बनाने के लिए पीओके से भारत में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे।
हुसैन पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के जिला कोटली के सब्ज़कोट गांव का रहने वाला था। उन्हें बेहद गंभीर हालत में सेना के चिकित्सा केंद्र में भर्ती कराया गया था।
उनका राजौरी के सेना अस्पताल में इलाज चल रहा था और उनके पैर और कंधे में गोली लगी थी। हुसैन ने खुलासा किया था कि उसे तीन से चार अन्य आतंकवादियों के साथ भारत में घुसपैठ करने के लिए भेजा गया था और उन्हें भारतीय सैनिकों पर ‘फिदायीन’ (आत्मघाती) हमला करने के लिए यूनुस चौधरी नाम के एक पाकिस्तानी कर्नल द्वारा पैसे मुहैया कराए गए थे।
घटना के दौरान हुसैन को गोली लगी, जबकि उसके साथी भागने में सफल रहे। हुसैन ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, “हम चार-पांच लोग थे। हम मरने आए थे। हमें पाक सेना के कर्नल चौधरी यूनुस ने भेजा था। उसने हमें भारतीय चौकियों पर हमला करने के लिए पैसे दिए।”
उसने आगे कहा, “हमें भारतीय सेना पर हमला करने के लिए कहा गया था। मैं 2016 में आया था। इस बार हम हमला नहीं कर सके। बाकी लोग भाग गए। मुझे गोली लगने के बाद, भारतीय सेना ने मुझे बचा लिया।”