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बृजभूषण सिंह की जमानत पर दिल्ली कोर्ट ने कहा, ‘जिस व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया गया है…’

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भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को जमानत देने पर दिल्ली की एक कोर्ट ने कहा कि जिस व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया गया है, उसको सजा कैसे दी जा सकती है। दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि यह संविधान में निहित व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अवधारणा के खिलाफ होगा कि किसी व्यक्ति को उस मामले में दंडित किया जाना चाहिए जिसमें उसे दोषी नहीं ठहराया गया है।

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अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल की अदालत ने गुरुवार (20 जुलाई) को छह पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोपों से संबंधित मामले में बृजभूषण सिंह और एक अन्य आरोपी को जमानत दे दी थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि देश का कानून सभी के लिए बराबर है और यह पीड़ितों या आरोपियों के पक्ष में नहीं झुक सकता है। एसीएमएम ने एक मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा, ”वर्तमान मामले में, आरोप गंभीर हैं। मेरे विचार में, आरोपों की गंभीरता, निस्संदेह, जमानत आवेदनों पर विचार करते समय प्रासंगिक विचारों में से एक है, लेकिन इसे तय करने का ये एक मात्र कारण नहीं हो सकता है।”

उन्होंने आगे कहा, ”जब विचाराधीन कैदियों को अनिश्चित काल के लिए जेल में बंद रखा जाता है, तो संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होता है। इस स्तर पर, आरोपी व्यक्तियों को हिरासत में लेने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होता है।” कोर्ट ने जारी आदेश में कहा कि किसी गैर-दोषी व्यक्ति को सबक के रूप में जेल की सजा देना अनुचित होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि हम जमानत देने में किसी भी फैक्ट को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। दोष साबित होने से पहले किसी को सजा कैसे दी जाएगी। भले ही आरोपी को इसके लिए दोषी ठहराया गया हो या नहीं या किसी गैर-दोषी व्यक्ति को सबक के तौर पर जमानत देने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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