Advertisement

मंगलवार को नई संसद में पेश हुआ नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल, लागू कराना क्यों है बड़ा चैलेंज

मंगलवार को नई संसद में पेश हुआ नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल, लागू कराना है बड़ा चैलेंज

मंगलवार को नई संसद में पेश हुआ नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल, लागू कराना है बड़ा चैलेंज

Share
Advertisement

गणेश चतुर्थी यानी 19 सितंबर वाले दिन महिला आरक्षण बिल की घोषणा से नई संसद का शुभारंभ हुआ। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार को बिल (128वां संशोधन विधेयक) पेश किया। सरकार ने महिला आरक्षण बिल पेश किया, जिसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल कहा गया था, जिससे महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में अधिक प्रतिनिधित्व मिलेगा। 1996 से संसद में महिलाओं का एक तिहाई कोटा बनाने की कोशिश की जा रही है।

Advertisement

2008 का संविधान (108 संशोधन) विधेयक राज्यसभा ने मार्च 2010 में पारित किया, लेकिन यह कानून लोकसभा में नहीं पहुँचा सका। भले ही मंगलवार को पेश किया गया विधेयक संसद के दोनों सदनों में तेजी से पारित हो जाए, इसके लागू होने में कुछ समय लग सकता है। विधेयक में अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं के लिए एक तिहाई 33 प्रतिशत आरक्षण प्रस्तावित है। ओबीसी समुदाय की महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रस्ताव नहीं है, जिसको आरजेडी और सपा ने लगातार उठाया है। यह बिल संसद में पेश किया गया तो दोनों पक्षों ने इसका कड़ा विरोध किया। ये दोनों दल INDIA गठबंधन में शामिल हैं, और कांग्रेस सहित गठबंधन के अन्य दल विधेयक का समर्थन करते हैं।

कैसे पहचान होगी आरक्षित सीटों की

अब यह देखा जाएगा कि आरक्षित सीटों का कैसे पता लगाया जाए। विधेयक महिलाओं को संसद और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें देगा। इसमें सीटों की पहचान कैसे की जाएगी, इसका उल्लेख नहीं है। 2010 में प्रस्तुत बिल में भी महिलाओं के लिए अलग-अलग सीटें नहीं रखी गई। सरकार ने ड्रा के माध्यम से महिलाओं के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों को प्राप्त करने का प्रस्ताव किया था ताकि तीन चुनावों में एक से अधिक बार कोई भी सीट एक से अधिक बार आरक्षित नहीं रहेगी। साथ ही, मंगलवार को पेश किए जाने वाले बिल में शेष सीटों के रोटेशन का भी प्रस्ताव है।

महिला आरक्षण बिल क्यों बना चैलेंज

महिलाओं के लिए 33% आरक्षित सीटें अभी भी स्पष्ट नहीं हैं। बिल पर बहस बुधवार से शुरू होगी। महिला आरक्षण बिल पारित होने पर भी, यह आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में लागू नहीं होगा क्योंकि परिसीमन की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। 2026 में परिसीमन शुरू होगा, जिसमें चुनाव क्षेत्रों के विभाजन के बाद पता चलेगा कि महिलाओं के लिए कौन सी सीटें आरक्षित की जाएंगी। जब जनसंख्या बढ़ती है, तो निर्वाचन क्षेत्रों को बार-बार दोबारा निर्धारित किया जाता है ताकि लोकतंत्र में आबादी का सही प्रतिनिधित्व हो और सभी को समान अवसर मिले। इससे लोकसभा और विधानसभा सीटों का पुनर्निर्धारण होता है। वहीं इस प्रक्रिया का नाम परिसीमन है।

ये भी पढ़ें – विश्व समाचार: न्यूजीलैंड में भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.6 मापी गई, अधिकारी बोले- कोई हताहत नहीं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अन्य खबरें