राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) को दोषी करार दे दिया है। उसे इस मामले में कितनी सजा मिलेगी इस पर फैसला 25 मई को होगा। यासीन मलिक को टेरर फंडिंग मामले (Terror Funding case) में दोषी पाया गया है।
मलिक ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को कबूल कर चुका है। यह पहली बार है जब आतंक के किसी मामले में यासीन को दोषी ठहराया गया है।
मलिक ने माना है कि उसके आतंकी सरगना हाफिज सईद और सैयद सलाउद्दीन के साथ संबंध है। जाहिर है कि मलिक ने अपने गुनाहों को कबूल कर लिया है। मलिक के खिलाफ एनआईए ने दिल्ली की कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। मलिक ने कथित रूप से कोर्ट को बताया है कि वह अपने खिलाफ लगे आरोपों से इंकार नहीं कर रहा है।
अलगाववादी नेता यासीन मलिक पर आपराधिक साजिश रचने, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, गैरकानूनी गतिविधियों और कश्मीर में शांति भंग करने के आरोप है। मलिक ने कोर्ट को बताया कि वह यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी गतिविधि), 17 (आतंकवादी गतिविधि के लिए धन जुटाने), (18 आतंकवादी कृत्य की साजिश रचने), व 20 (आतंकवादी समूह या संगठन का सदस्य होने) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) व 124-ए (देशद्रोह) के तहत खुद पर लगे आरोपों को चुनौती नहीं देना चाहता।
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1990 के बाद घाटी में आतंकी घटनाओं एवं अलगाववाद को हवा देने में यासीन मलिक का बड़ा रोल रहा है। एनआईए ने उस पर कश्मीर में आतंकवाद फैलाने, उसकी फंडिंग करने, अलगाववादी गतिविधियों में शामिल होने सहित कई आरोप लगाए थे। बीते दिनों मलिक ने अपने सभी जुर्मों को कबूल कर लिया। मलिक ने माना कि साल 2017 में उसने घाटी का माहौल बिगाड़ने में सक्रिय भूमिका निभाई।