PM मोदी के पांच संकल्प रखेंगे नए भारत की नींव , जानिए क्या हैं ये संकल्प?

आज स्वतंत्रता दिवस के इस खास मौके पर मोदी ने दूरगामी सोंच का परिचय देते हुए कहा कि देश अब विकास के शीर्ष पर पहुंचने की ओर अग्रसर है। उन्होंने इसी कड़ी में ये भी कहा कि हमें आगे आने वाले 25 सालों पर भी ध्यान देना होगा। यानी 2047 तक देश बिल्कुल बदले हुए अंदाज में होना चाहिए।
मोदी के 5 संकल्प से बदलेगा भारत का भविष्य?
पीएम नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से कहा कि हमें 5 बड़े संकल्प लेकर आगे बढ़ना होगा। इनमें से एक संकल्प होगा, विकसित भारत। दूसरा यह कि किसी भी कोने में गुलामी का नामों निशान न रह जाए।अब हमें शत-प्रतिशत उन गुलामी के विचारों से पार पाना है, जिसने हमें जकड़कर रखा है। हमें गुलामी की छोटी से छोटी चीज भी नजर आती है तो हमें उससे मुक्ति पानी ही होगी। उन्होंने ये भी कहा कि कब तक दुनिया हमें सर्टिफिकेट देती रहेगी। अब हमें अपने मानक खुद बनाने चाहिए।
हमें किसी भी हालत में औरों के जैसा दिखने कीने की जरूरत नहीं है। हम जैसे भी हैं, वैसे ही सामर्थ्य के साथ खड़े होंगे। यह हमारी अंदाज है। उन्होंने कहा कि तीसरी प्रण शक्ति यह है कि हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए, ना कि विदेशी लोगों को कॉपी करना चाहिए। यही विरासत है, जिसने कभी भारत को सोने की चिड़िया भी कहलवाया है।
यही विरासत है, जो काल बाह्य छोड़ती रही है और नूतन को स्वीकारती रही है। पीएम मोदी ने कहा कि हमारी विरासत में ही पर्यावरण जैसी जटिल समस्या का समाधान रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी संस्कृति वह है, जो जीव में शिव देखती है और कंकर में शंकर देखती है। हमारी यह परंपरा ही बताती है कि कैसे पर्यावरण के साथ रहा जा सकता है।
क्या था मोदी का चौथा प्रण
चौथा प्रण यह है कि देश में एकता रहे और एकजुटता रहे। देश के 130 करोड़ देशवासियों में एकता रहे। यह हमारा चौथा प्रण है। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमें हर किसी का सम्मान करना होगा। श्रम को अच्छे नजरिए से देखना होगा और श्रमिकों का सम्मान करना होगा। पीएम ने कहा कि 5वां प्रण है नागरिकों का कर्तव्य। इससे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भी बाहर नहीं हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह देश तभी आगे बढ़ सकता है, जब हम अपने कर्तव्यों का पालन करें। प्रधानमंत्री ने देश की जनता को हिदायत देते हुए ये भी कहा कि यदि सरकार का कर्तव्य है कि वह हर समय बिजली की सप्लाई दे तो यह नागरिक का कर्तव्य है कि वह कम से कम यूनिट खर्च कर प्राकृतिक संसाधनें की रक्षा करें। यदि सरकार सिंचाई के लिए पानी दे तो नागरिक का कर्तव्य है कि वह पानी की ज्यादा से ज्यादा बचत करें।