
मामले की अहम बातें एक नजर में:
- 1 जुलाई से शुरू होगी सुनवाई
- पूर्व प्रधानमंत्री और मंत्री की गैर-मौजूदगी में ट्रायल की चेतावनी
- गंभीर आरोप: हत्या, यातना और हथियारों का दुरुपयोग
- आवामी लीग ने कहा – “शो ट्रायल”, लोकतंत्र पर हमला
Sheikh Hasina War Crimes : बांग्लादेश की अंतर्राष्ट्रीय क्राइम्स ट्राइब्यूनल (ICT) ने नई दिशा में बड़ा कदम उठाया है. जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जामान खान कमाल, और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून के खिलाफ मानवता विरोधी अपराधों की सुनवाई 1 जुलाई से शुरू कर दी जाएगी.
ट्राइब्यूनल का ऐतिहासिक आदेश
दरअसल यह आदेश न्यायमूर्ति एमडी गोलाम मुर्तुजा मजूमदार की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने जारी किया है. इस बीच केवल अल-मामून ही अदालत में उपस्थित रहे, जबकि हसीना और कमाल की गैरहाजिरी पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया. वहीं इससे पहले 17 जून को दोनों को आत्मसमर्पण करने का निर्देश नोटिस जारी कर दिया गया था.
आत्मसमर्पण का नोटिस और गैरहाजिरी
बता दें कि त्रिब्यूनल ने 24 जून तक आत्मसमर्पण का आदेश दिया था, जिसके अनुपालन में न आए तो ट्राइब्यूनल की प्रक्रिया जारी रहेगी. इतना ही नहीं नोटिस में साफ पूछा गया कि “इन्हें आत्मसमर्पण न करने पर गैरमौजूदगी में जुर्म चलाया जाएगा.”
गंभीर आरोपों की बाढ़
हालांकि अभियोजन पक्ष की तरफ से 1 जून को हत्या, हत्या का प्रयास, यातना, हथियार प्रयोग जैसे संगीन आरोप लगाए गए. जिसके बाद अदालत ने तुरंत गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया. वहीं अब्दुल्ला अल-मामून को गिरफ्तार कर लिए गए है.
आवामी लीग का विरोध और सवाल
वहीं शेख हसीना के नेतृत्व वाली आवामी लीग ने ट्राइब्यूनल की कार्यवाही को ‘शो ट्रायल’ करार दिया है. इस आरोपों को पार्टी ने निराधार बताते हुए मुकदमे की निष्पक्षता को लेकर सवाल खड़े कर दिए. इस मामले में उनका कहना है कि यह मुकदमा वर्तमान सरकार द्वारा संचालित एक गैर-निर्वाचित और अलोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है.
गौरतलब है कि यह सुनवाई बांग्लादेश में न्यायपालिका और राजनीति के बीच जारी टकराव की एक कड़ी है. यह कदम भविष्य में सीमा पार ट्राइब्यूनल की सक्रियता और राजनीतिक नेताओं की जवाबदेही को लेकर इस बहस को एक नया मोड़ दे सकता है.
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