Karnataka: मैंगलोर में मनाया जा रहा ‘अग्नि केली’ उत्सव, लोग एक दूसरे पर नारियल की छाल से बनी मशाल फेंकते आए नजर

Karnataka: कर्नाटक के मैंगलोर में आज ‘अग्नि केली’ उत्सव मनाया जा रहा है। ये उतस्व कतील श्री दुर्गापरमेश्वरी मंदिर में मनाया जा रहा है। ‘तूतेधारा’ या ‘अग्नि केली’ उत्सव का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। वीडियो में श्रद्धालु आग से खेलते हुए नजर आ रहे हैं। बता दें कि ‘अग्नि केली’ कर्नाटक के मैंगलोर में मनाई जाने वाली एक बहुत पुरानी परंपरा है। इसमें श्रद्धालु एक-दूसरे पर जले हुए ताड़ के पत्ते फेंकते हैं।
Karnataka: क्या है ‘अग्नि केली’ परंपरा?
आज मनाई जाने वाली ये अग्नि केली परंपरा में दो गांव आतुर और कलत्तुर के लोगों शामिल होते हैं। इस खेल में लोग आग से खेलते हैं। लोग नारियल की छाल से बनी मशाल को लोग एक दूसरे पर फेंकते हैं। इस खेल को करीब 15 मिनट तक खेला जाता है। वहां के लोगों का मानना है कि इस उत्सव में भाग लेने से उनके उनके दुख-दर्द कम होते हैं। इस दौरान जहां कलत्तुर और आतुर गांव के लोग इस परंपरा में हिस्सा लेते हैं वहीं दूसरी तरफ हजारों भक्त उनको देखने के लिए मंदिर परिसर में जुटते हैं।
भक्त रखते हैं उपवास
दुर्गापरमेश्वरी मंदिर कतील के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है, जो कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में नंदिनी नदी के बीच में एक टापू पर मौजूद है। यहां मनाई जाने वाली ‘अग्नि केली’ परंपरा देखने में काफी खतरनाक लगती है। लेकिन ये सदियों पुरानी परंपरा है, जिसमें भक्त एक-दूसरे का सामना करते हुए दो ग्रुप में हो जाते हैं और फिर लगभग 15 से 20 मीटर की दूरी से एक-दूसरे पर मशाल को फेंकते हैं। बता दें कि इस उत्सव के आठ दिनों तक भक्त उपवास भी रखते हैं और मांस और शराब से परहेज करते हैं।
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