UP का एक अनोखा गांव, जहां सिर्फ महिलाएं खेलती हैं होली
यूपी(UP) के हमीरपुर जिले के कुडौरा गांव की महिलाये की अनोखी होली सबसे प्रसिद्ध है। इस होली में पुरुषो का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित होता है और होली के दिन पुरुषों को घरों में रहना पड़ता है। महिलाये गांव में रंगों के साथ ठिठौली करती दिखाई देती है। अगर गांव का कोई पुरुष धोखे से भी महिलाओ के बीच पहुचं जाता है तो, उन्हें महिलाओ के कपड़े पहना कर नचवाया जाता है और विरोध करने पर पिटाई भी हो जाती है !
साल भर घूंघट में कैद रहने वाली महिलाये होली के दिन अपनी हुकूमत चलाती है लेकीन अगर किसी पुरुष में इन होली को देखने की कोशिश की या गाँव से गुजर रही महिलाओ की टोली के सामने आने की जुर्रत की तो उसकी दुर्दशा होना निश्चित हो जाती है। अगर कोई पुरुष इनके बीच फस जाता है तो उन्हें भी लैंघा चोली पहनाकर जबरन नाचने पर मजबूर किया जाता है। इसी डर के चलते होली के दिन पुरुष घरों में रहते है और महिलाये घरों के बाहर होली कि हुडंग का मजा लेती है। औरतो की होली का ऐसा अनोखा नज़ारा और कही देखने को नहीं मिलता है।
500 वर्ष से पुरानी है इस अनोखी होली की परंपरा
बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले के कुंडौरा गांव में महिलाओं की होली का इतिहास 5 सौ साल से पुराना है। गांव की बहुएं और बेटियां भी फाग निकलने के दौरान नृत्य करती है। जिसे गांव का पुरुष देख नहीं सकता है। यदि किसी ने देखने की हिम्मत भी की तो उन्हें लट्ठ लेकर गांव से ही खदेड़ दिया जाता है। यहाँ महिलाओं की फाग निकालने की कोई फोटो या वीडियो नही बना सकता है, यदि कोई इस अनूठी परम्परा का चोरी छिपे फोटो लेते पकड़ा गया तो उस पर तगड़ा जुर्माना बोला जाता है और सारी महिलाये उसकी कोड़ो से पिटाई भी करती है। गांव की बुजुर्ग महिला सिया दुलारी की माने तो कई पीढ़ियों से यह परंपरा चली आ रही है। साल में एक बार होली के दिन ही यहां महिलाओं को घर और घूँघट से बाहर निकलने का मौका मिलता है।
महिलाओं की होली के दौरान पुरुषों को घरों में रहना पड़ता है कैद
सालो से यहां की परम्परा है कि होली के दूसरे दिन पूरे गांव की महिलाएं और लड़कियां एक जुट होकर होली खेलती है। जिसकी टोलियां पूरे गांव में घूमती है। इस दिन पूरे गांव के पुरुषो को घरों में कैद रहना पड़ता है। गांव के मुख्य मार्गों में भी महिलाएं मौजूद रहती है। जो किसी भी पुरुष के गांव में आते ही उनको रंगों से सराबोर करते हुये उनको परेशान करती है। कभी कभी तो महिलाओ की टोलियां उनसे अपने बीच मे नाट्य करवाती है। गांव के बुजुर्ग जागेश्वर की माने तो वो अपनी इस प्राचीन परंपरा से खास उत्साहित रहते हैं और वो कई बार महिलाओं के दंड का शिकार हो चुके है।
सारी बेटियां अपनी ससुराल से होली में शामिल होने को पहुँचती है गांव
बुंदेलखंड में फागुन का महीना शरू होते ही टेसू के फूलों की लालिमा से पूरा वातावरण मादक हो जाता है और गाँव गाँव में होरियारे लाठियाँ चला कर होली खेलना शरू कर देते हैं, तो महिलाऐं भी होली गीत गा कर नृत्य करते हुए होरियारों का होसला बढाती रहती हैं, लेकीन हमीरपुर जिले के कुडौरा गांव में इसका उल्टा होता है। यहां महिलाएं तो होली खेल सकती है लेकीन पुरुषों को घरों में कैद रहना पड़ता है। इस महिलाओं की होली की शोरहत बहुत दूर दूर तक फैली है। इस परम्परा में शामिल होने को गांव की बेटियां भी अपने मायके आ जाती है।
हमीरपुर से आनंद अवस्थी की रिपोर्ट
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