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बिहार चुनाव से पहले वोटर लिस्ट पर विवाद, असदुद्दीन ओवैसी और विपक्ष ने चुनाव आयोग पर उठाए सवाल

Asaduddin Owaisi : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग की तरफ से मतदाता सूची को संशोंधन करने के फैसले पर असदुद्दीन ओवैसी और विपक्षी नेताओं ने सवाल खड़े किए हैं.

बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर मतदाता सूची पर विवाद बढ़ता जा रहा है. चुनाव आयोग की तरफ से मतदाता सूची के संशोंधन की प्रक्रिया पर कई तरह के सावल खड़े हो रहे हैं. इस मुद्दे को लेकर देश की शीर्ष आदालत में याचिका दाखिल की गई है, वहीं अलग-अलग राजनीतिक दल भी चुनाव आयोग से मुलाकात कर रहे हैं. इस बीच AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी चुनाव आयोग से मुलाकात कर वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों पर चिंता व्यक्त की है.

चुनाव आयोग जो प्रक्रिया कर रहा है यह सही नहीं

असदुद्दीन ओवैसी ने मुख्य चुनाव आयुक्त से मुलाकात के बाद कहा कि यह जो प्रक्रिया की जा रही है इसके लिए राष्ट्रीय दलों से बात नहीं की गई. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बीएलओ की कोई ट्रेनिंग नहीं हुई क्योंकि उनके पास हैंडबुक नहीं है. इस वजह से चुनाव आयोग जो प्रक्रिया कर रहा है, यह सही नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर हम अपनी पार्टी में बैठकर बात करेंगे

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल किया कि साल 2024 की मतदाता सूची को चुनाव आयोग आधार क्यों नहीं बना रहा है. जिन मतदाताओं ने साल 2024 में वोट दिया आखिर 2025 में उनसे उनकी पहचान क्यों पूछी जा रही है? असदुद्दीन ओवैसी ने अपने ब्यान में आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर हम अपनी पार्टी में बैठकर बात करेंगे और आगे फैसला लेंगे, लेकिन हमारी आपत्ति यही है कि इतना कम समय क्यों दिया गया. इसके अलावा अख्तरुल ईमान ने कहा कि बड़ी संख्या में लोग ऐसे हैं, जो की माइग्रेंट लेबर है जिनके पास में अपने दस्तावेज नहीं है.

सुनवाई दस जुलाई 2025 को निर्धारित की गई

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जुड़े एक अहम मुद्दे पर संज्ञान लिया है. इस मामले कि सुनवाई दस जुलाई 2025 को निर्धारित की गई है. कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. अब तक इस मामले में पांच याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं. इनमें देश की प्रमुख चुनाव सुधार संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR)की याचिका प्रमुख है. इसके अलावा योगेंद्र यादव, महुआ मोइत्रा, मनोज झा और मुजाहिद आलम ने भी याचिकाएं दायर की हैं.

स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करने वाला बताया

इन सभी याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया मनमानी है और यह स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करने वाला बताया गया है. याचिकाकर्ताओं ने आशंका जताई है कि विशेष पुनरीक्षण अभियान के चलते लाखों लोगों के नाम मतदाता सूची से हट सकते हैं, जिससे चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं.

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