
Swami Vivekanand: महान सिद्धांतवादी स्वामी विवेकानंद जी की 123वी पुण्यतिथि पर उन्हे नमन करते प्रधान मंत्री नरंद्र मोदी ने एक्स पर अपनी एक पोस्ट में अपने विचार प्रकट किए हैं. उन्होंने लिखा कि “मैं स्वामी विवेकानंद जी को उनकी पुण्यतिथि पर नमन करता हूं. उनके विचार और समाज के लिए उनकी दृष्टि हमारे लिए मार्गदर्शक प्रकाश बनी हुई हैं. उन्होंने हमारे इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर में गर्व और आत्मविश्वास की भावना जगाई. उन्होंने सेवा और करुणा के मार्ग पर चलने के निर्देश दिए.”
अपने कर्मों से किया देश का नाम रौशन
महान सिद्धांतवादी स्वामी विवेकानंद जी नें 1893 में शिकागो के विश्व धर्म संसद में अपना ऐतिहासिक भाषण देते हुए विश्व पटल पर भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म की गौरवगाथा को प्रस्तुत किया. साथ ही उन्होंने रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य और मानव सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रहें हैं.
आखिर कैसी थी स्वामी जी की जीवन गाथा
श्री स्वामी जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता मे हुआ. जो उस समय नरेंद्र नाथ दत्त के नाम से जाने जाते थें. उन्होंने हमेशा से ही मानवता की सेवा को जीवन का परम लक्ष्य बताया. उनकी शिक्षाएं आज भी एकजुटता, करुणा और आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाती हैं. इसी दिन भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में उनकी जयंती मनाई जाती है.
स्वामी जी बने यूवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत
स्वामी विवेकानंद भारतीय युवाओं को आत्मविश्वास और सांस्कृतिक गौरव का संदेश दिया. उनका कहना हैं कि, “उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो,” जो आज भी लोगों को प्रेरित करता है. उनके लिए सेवा और करुणा सच्चे धर्म के आधार थे. स्वामी जी के विचारों ने भारतीय समाज में राष्ट्रवाद की भावना को बल दिया. जो देश हित में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं.
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