UP: माफिया के दंश से यूपी को मिला छुटकारा, स्मार्ट और सेफ सिटी बनने की राह पर प्रदेश के 17 नगर निगम

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UP: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार के सात साल पूरे हो रहे हैं। दशकों तक ‘बीमारू’ राज्य की छवि रखने वाला प्रदेश आज देश में सबसे तेज गति से विकास करने वाला राज्य बन चुका है। विकसित भारत के जिस संकल्प को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रोडमैप तैयार किया है, उसे अमली जामा पहनाने में उत्तर प्रदेश की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है।
बीते सात साल में यूपी की कार्य संस्कृति में व्यापक बदलाव देखने को मिले हैं, न केवल कानून-व्यवस्था में, बल्कि इन्फ्रास्ट्रक्चर, रोड, रेल, वायु और जल परिवहन, महिला सशक्तिकरण, रोजगार सृजन, व्यापक निवेश और जन कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने को लेकर जिस गति के साथ उत्तर प्रदेश दौड़ रहा है, वह दिन दूर नहीं जब यह देश की नंबर एक की अर्थव्यवस्था वाला प्रदेश बनने की दिशा में अग्रसर है। यही नहीं उत्तर प्रदेश आज आत्मनिर्भर राज्य की ओर से भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।
संगठित अपराध ने तोड़ा दम
बीते सात साल में योगी सरकार ने माफिया और अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कार्य करते हुए प्रदेश की क़ानून व्यवस्था को सुदृढ़ किया। पिछले सात वर्षों में 194 से अधिक अपराधियों को मुठभेड़ में ढेर किया गया। इतना ही नहीं कोर्ट में प्रभावी पैरवी के जरिये 24,743 से अधिक अपराधियों को सजा दिलायी गई। गैंगस्टर एक्ट अधिनियम के तहत 71600 से अधिक अपराधियों को जेल भेजा गया और 124 अरब, 4 करोड़ 18 लाख, 52 हजार से अधिक की चल-अचल संपत्तियां जब्त की गयी। राज्य स्तर पर चिह्नित 68 माफिया और उनके गैंग के सदस्यों, सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। अब तक इनकी 3,758 करोड़ से अधिक की संपत्ति पर एक्शन लिया गया। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार महिला सम्बन्धी अपराधों में संलिप्त अपराधियों को सजा दिलाने में उत्तर प्रदेश, देश में नम्बर वन है।
युवा और रोजगार सृजन
प्रदेश सरकार का सबसे अधिक जोर युवाओं के भविष्य को संवारने पर है। बीते सात साल में प्रदेश सरकार ने सात लाख से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी देकर भी कीर्तिमान रचा है। इसके अलावा युवाओं को निजी सेक्टर और स्वरोजगार से जोड़ते हुए एक करोड़ से अधिक रोजगार के अवसरों का भी सृजन हुआ है। प्रदेश सरकार ने इस साल के बजट में भी मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान की शुरुआत की है, जिसके तहत अगले 10 साल में 10 लाख युवाओं को स्टार्टअप स्थापित करने में मदद बिना ब्याज के पांच लाख तक के ऋण की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
शहरों का हुआ कायाकल्प
प्रदेश में 10 स्मार्ट सिटीज में लगभग 2000 करोड़ रुपए की लागत से 10 नगरों में इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर एवं इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम क्रियाशील हैं। स्मार्ट सिटी की रैकिंग में प्रदेश के आगरा व वाराणसी शहर निरंत प्रथम 10 शहरों में सम्मिलित रहे हैं। केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी मिशन योजना की तर्ज पर उत्तर प्रदेश ने प्रदेश के अन्य 7 नगर निगमों (अयोध्या, फिरोजाबाद, गोरखपुर, गाजियाबाद, मथुरा-वृन्दावन, मेरठ व शाहजहांपुर) को राज्य स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने की अभिनव पहल की है।
बेटियों का जीवन किया समृद्ध
उत्तर प्रदेश में पिछले सात वर्ष की बात करें तो यहां सामाजिक सुरक्षा का बेहतर माहौल तैयार हुआ है। इसके क्रियान्वयन से नागरिकों के जीवन में ‘नया सवेरा’ आया है। सात वर्ष में एक ओर जहां 3.19 लाख से अधिक बेटियों के हाथ पीले कराए गए, वहीं मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के जरिए भी सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले प्रतिभाशाली युवाओं के ‘सुखद भविष्य’ के बारे में भी पहली बार सोचा गया। 2020-21 में शुरू हुई इस योजना के तहत अब तक 51 हजार से अधिक युवा लाभान्वित हो चुके हैं। सात वर्ष में सरकार का जोर सामाजिक सुरक्षा के जरिए हर वर्ग के विकास पर रहा।
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