
New Delhi : भारत में कच्चे तेल के जितने भंडार अभी तक मिले हैं, वो भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की जरूरत सिर्फ 15 वर्षों तक पूरा करने की क्षमता है। वह भी तब जब हम अभी भी अपनी जरूरत के 87 प्रतिशत कच्चे तेल के लिए विदेशों पर आपूर्ति है। यानी, अगर अगले कुछ वर्षों में देश में कच्चे तेल के बड़े भंडार नहीं मिले तो हमें डेढ़ दशक बाद कच्चे तेल के लिए पूरी तरह से विदेशों पर निर्भर होना पड़ेगा। यह बात पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय की एक संसदीय समिति की रिपोर्ट में कही गई है।
पेट्रोलियम उत्पादों की खपत और बढ़ने की संभावना है
दूसरी तरफ, भारत की तेज आर्थिक विकास दर को देखते हुए आने वाले समय में घरेलू बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत और बढ़ने की संभावना है। रिपोर्ट परोक्ष तौर पर इस बात की तरफ भी इशारा करता है कि पिछले दो दशकों से घरेलू स्तर पर कच्चे तेल भंडार खोजने की कोशिशों का कोई खास असर नहीं दिखा है।
पांच सूत्रीय फार्मूला तैयार किया गया था
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022 तक भारत में प्रमाणित तौर पर कुल 44.78 करोड़ टन के बराबर तेल भंडार है जो 15 वर्षों तक चलेगा। वर्ष 2016 में केंद्र सरकार ने वर्ष 2021-22 तक कच्चे तेल पर विदेशी निर्भरता में 10 फीसद घटाने का लक्ष्य रखा था। इस लक्ष्य को पाने के लिए पांच सूत्रीय फार्मूला तैयार किया गया था। लेकिन, रिपोर्ट के मुताबिक साल दर साल घरेलू कच्चे तेल का उत्पादन घटता ही गया है। साफ है, कि घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए पूर्व में लागू न्यू एक्सप्लोरेशन लाइसेंसिंग पॉलिसी (एनईएलपी) और मौजूदा हाइड्रोकार्बन एंड एक्सप्लोरेशन पॉलिसी (एचईएलपी) के तहत निजी सेक्टर को भारत में क्रूड की खोज व उत्पादन के लिए कई तरह के प्रोत्साहन दिए गए।
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