UAPA: जस्टिस सचिन दत्ता की अध्यक्षता में अधिकरण की स्थापना, JKDFP पर पाबंदी की होगी समीक्षा

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UAPA: भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर 5 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी को यूएपीए के तहत एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया था। यूएपीए में प्रावधान है कि ऐसा कोई प्रतिबंध तब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक कि यूएपीए ट्रिब्यूनल द्वारा इसकी पुष्टि नहीं की जाती है। इसको लेकर गृह मंत्रालय, भारत सरकार ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी पर लगाए गए प्रतिबंध की समीक्षा के लिए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) ट्रिब्यूनल के पीठासीन अधिकारी के रूप में दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस सचिन दत्ता को नियुक्ति किया है।

UAPA: 5 अक्टूबर को घोषित किया था गैरकानूनी

बता दें कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत गृह मंत्रालन, भारत सरकार ने 5 अक्टूबर को एक अधिसूचना जारी कर जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी को आधिकारिक तौर पर एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया था। लेकिन अधिनियम में प्रावधान है कि ऐसा कोई भी प्रतिबंध तब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक कि यूएपीए ट्रिब्यूनल द्वारा अधिनियम की धारा-4 के तहत पुष्टि नहीं की जाती है।

अधिकरण का किया गया गठन

यूएपीए अधिनियम के तहत भारत सरकार ने अब अधिकरण की स्थापना की मंजूरी दे दी है। दिल्ली उच्च न्यायालय के जज न्यायमूर्ति सचिन दत्ता के नेतृत्व में अधिकरण की स्थापना की गई है। जस्टिस दत्ता कई वर्षों तक दिल्ली हाई कोर्ट में भारत सरकार के स्थायी वकील के रूप में कार्य किया है। अगस्त 2014 में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित होने से पहले वह सुप्रीम कोर्ट में यूएपीए के तहत स्थापित अलग-अलग न्यायाधिकरणों के समक्ष केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं।

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