Uttar Pradesh

UP: गोंडा जिले का अनोखा मामला, एक हत्या के मामले में बदले गये 14 जांच अधिकारी

उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में एक आश्चर्यजनक मामला सामने आया है। 8 साल पहले दलित बुजुर्ग की हत्या के मामले में पुलिस ने पूरे 14 बार जांच बदली है। जब नामजद आरोपियों के खिलाफ कोर्ट से गैर जमानती वारंट और कुर्की तक के आदेश दिए जाते, थे तो जांच भी बदल दी जाती। फिर अचानक सीबीसीआईडी की जांच करने वाले अधिकारी को भी बदल दिया जाता है। अब अपर मुख्य सचिव गृह ने 14 बार जांच बदलने के मामले में डीजीपी को जांच बदलने का आदेश दिया है। यह अलग है कि यूपी के डीजीपी विजय कुमार लंबे समय से सीबीसीआईडी के डीजी रहे हैं।

परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप, जानिए क्या है पूरा मामला

मृतक के परिजनों का आरोप है कि जिला पुलिस और सीबीसीआईडी अधिकारी राजनीतिक दबाव से आरोपियों को बचा रहे हैं और फर्जी दस्तावेजों पर साजिश रच रहे हैं।

5 जून 2017 को गोंडा के तरबगंज थानाक्षेत्र के गांव में रह रहे रमई के दबंग राधेश्याम दुबे, विष्णु शंकर दुबे, मोहर अली और कालूट ने 8 साल पहले लाठी-डंडों से पीट-पीट कर मार डाला था। चार आरोपियों के खिलाफ एससी एसटी एक्ट में क्राइम नंबर 238/ 2017 पर हत्या के साथ-साथ नामजद एफआईआर दर्ज की गई।

एससी-एसटी कानून लागू हुआ क्योंकि मामला दलित की हत्या का था। जो सीओ मानकापुर को जांच के लिए भेजा गया था। लेकिन विजय आनंद का तबादला बदल गया। सीओ तरबगंज ब्रह्म सिंह को फिर विवेचना दी गई। तत्कालीन आईजी जोन गोरखपुर से शिकायत पर बस्ती जिले में तैनात सीओ रहे सतीश चंद्र शुक्ला को जांच सौंप दी गई।

लेकिन सीबीसीआईडी में भी जांच बदलने का दौर शुरू हो गया है। कुछ ही महीने बाद, प्रमोद कुमार से जांच डिप्टी एसपी आशापाल सिंह, एडिशनल एसपी अखिलेश्वर पांडे, एडिशनल एसपी राजेश कुमार भारती और गोरखपुर सेक्टर के एडिशनल एसपी डॉक्टर कृष्ण गोपाल को सौंप दी गई।

कब-कब की गई कार्यवाही

कृष्ण गोपाल ने अपनी रिपोर्ट 31 में 2022 को सीबीसीआईडी हेडक्वार्टर लखनऊ को भेजी और सभी नामजद आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट लगाने की सिफारिश की। 1 जून 2022 को सीबीसीआईडी मुख्यालय से मामले की जांच शासन को भेजी गई। सीबीसीआईडी की रिपोर्ट के अनुसार, नामजद आरोपियों के खिलाफ 15 जुलाई 2022 को एनबीडब्ल्यू से कुर्की की कार्रवाई शुरू की गई।

लेकिन एनबीडब्ल्यू से नामजद आरोपियों के खिलाफ जांच की बारहवीं बार सीबीसीआईडी में बदल गई और इस बार जांच एडिशनल एसपी रचना मिश्रा को दी गई। 26 अगस्त 2022 से रचना मिश्रा ने जांच शुरू की, जिसके बाद जिला पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की।

गोंडा एससी/एसटी कोर्ट ने 10 फरवरी 2023 को NBW जारी कर कुर्की की कार्रवाई शुरू कर दी। रचना मिश्रा से भी जांच लेकर दूसरे एडिशनल एसपी लल्लन प्रसाद को दी गई, जैसा कि न्यायालय ने एनबीडब्ल्यू को बताया। इस बीच, अगस्त 2022 में उत्तर प्रदेश सरकार ने विजय कुमार, जो पहले डीजी होमगार्ड थे, को सीबीसीआईडी का प्रभावशाली पद दिया।

हालाँकि, लल्लन प्रसाद को कुछ महीने ही लगे कि प्रयागराज सीबीसीआईडी के सेक्टर प्रभारी समीर सौरभ को जांच सौंप दी गई। जब समीर सौरभ ने 20 मार्च 2023 से जांच शुरू की, तो जांच की दिशा अचानक बदल गई।

आगे क्या हुआ, जानिए यहां

कुल 14 बार जिला पुलिस और सीबीसीआईडी की जांच बदली गई, जिसमें राधेश्याम दुबे, विष्णु शंकर दुबे, मोहर अली और कालूट के खिलाफ सबूत मिले। नतीजा: सीबीसीआईडी ने एनबीडब्ल्यू और कुर्की की कार्रवाई की। लेकिन अब आरोप लगाया जा रहा है कि समीर सौरभ ने पूरी जांच की है।

अब हत्याकांड के आरोपियों को क्लीन चिट देने की तैयारी है। मृतक रमई की पत्नी और उसके बेटों को बीते आठ साल में चौबीस बार जांच बदलने की जानकारी मिलने पर पत्नी सुंदर पति ने प्रमुख सचिव गृह को शिकायत की कि फर्जी दस्तावेजों पर आधारित होकर आरोपियों को बचाने की कोशिश की जा रही है।

प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने 27 सितंबर 2023 को डीजी सीबीसीआईडी और वर्तमान डीजीपी विजय कुमार को पत्र लिखकर स्पष्ट रूप से कहा कि बिना वादी की जानकारी के 14 बार जांच ट्रांसफर गंभीर मामला है, इसलिए उच्च स्तरीय जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

वर्तमान में इस मामले की जांच कर रहे प्रयागराज सीबीसीआईडी सेक्टर प्रभारी समीर सौरभ ने कहा कि सीबीसीआईडी हत्याकांड की जांच कर रहा है, लेकिन परिस्थितियों में बदलाव की जांच मुख्यालय स्तर पर की जा रही है। ये मुद्दे पुलिस क्षेत्र में चर्चा का विषय हैं। 

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