आदित्य स्पेसक्राफ्ट निकला L1 पॉइंट की तरफ, पृथ्वी की ऑर्बिट से निकालने के लिए थ्रस्टर फायर किए गए

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इसरो ने आदित्य L1 स्पेसक्राफ्ट को रात करीब 2 बजे ट्रांस-लैग्रेंजियन पॉइंट 1 में अपने पथ में इंसर्ट किया। इस कार्रवाई के लिए यान के थ्रस्टर्स को थोड़ी देर के लिए प्रारंभ किया गया। ट्रांस-लैग्रेंजियन पॉइंट 1 में इंसर्ट करने का मतलब है कि अब यह यान पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलकर लैग्रेंजियन पॉइंट 1 की ओर अपना सफर शुरू करेगा। यह स्पेसक्राफ्ट अब लगभग 15 लाख किलोमीटर का सफर पूरा करेगा और जनवरी 2024 में लैग्रेंजियन पॉइंट 1 पर पहुंचेगा।

आपको बता दें आदित्य L1 का उपग्रह को 2 सितंबर को सुबह 11.50 बजे PSLV-C57 रॉकेट के XL वर्जन से श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। इसके बाद कुल 63 मिनट 19 सेकेंड के बाद स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी की 235 किमी x 19500 किमी की कक्षा में स्थापित कर दिया गया था। इसके बाद, इसरो ने स्पेसक्राफ्ट की ऑर्बिट को बढ़ाने के लिए 4 बार थ्रस्टर चालाए थे।

बता दें इससे पहले सोमवार को, इसरो ने घोषणा की थी कि आदित्य L1 सबसे पहले वैज्ञानिक डेटा कलेक्ट करने का काम करेगा। स्पेसक्राफ्ट पर लगे सुप्रा थर्मल एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर (STEPS) नामक उपकरण को 10 सितंबर को पृथ्वी से लगभग 50,000 किमी दूरी पर सक्रिय किया गया था। इसके माध्यम से, सूर्य पर उठने वाले तूफान और अंतरिक्ष मौसम के बारे में जानकारी संग्रहित की जा रही है।

STEPS उपकरण आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX) पेलोड का हिस्सा है, और इसमें छह सेंसर्स हैं, जो विभिन्न दिशाओं में निरीक्षण करते हैं और विभिन्न ऊर्जा स्तरों के इलेक्ट्रॉन्स का मापन करते हैं, जिसमें 1 MeV से अधिक के इलेक्ट्रॉन्स शामिल हैं, साथ ही 20 keV/न्यूक्लियॉन से लेकर 5 MeV/न्यूक्लियॉन तक के सुप्रा-थर्मल और एनर्जेटिक आयन्स को भी मापते हैं।

लैगरेंज पॉइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैगरेंज के नाम पर रखा गया है। इसे बोलचाल में L1 नाम से जाना जाता है। ऐसे पांच पॉइंट धरती और सूर्य के बीच हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस हो जाता है और सेंट्रिफ्यूगल फोर्स बन जाती है।

ऐसे में इस जगह पर अगर किसी ऑब्जेक्ट को रखा जाता है तो वह आसानी उस पॉइंट के चारो तरफ चक्कर लगाना शुरू कर देता है। पहला लैगरेंज पॉइंट धरती और सूर्य के बीच 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है। इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता।

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