Gujarat: राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन लॉन्च किया, ग्लोबल वार्मिंग को लेकर जताई चिंता

Gujarat: राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन लॉन्च किया, ग्लोबल वार्मिंग को लेकर जताई चिंता

Gujarat: राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन लॉन्च किया, ग्लोबल वार्मिंग को लेकर जताई चिंता

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार 13 सितंबर को गांधीनगर में गुजरात विधानसभा के राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन डिजिटल हाउस परियोजना का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम में गुजरात के गवर्नर आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल मौजूद रहे। राष्ट्रपति मुर्मू अपने दो दिवसीय दौरे पर गुजरात पहुंची हैं। इस दौरान मुर्मू गुजरात विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन विधायकों को संबोधित करेंगी।

सदन के कामकाज को कागज रहित बनाने का मकसद

गुजरात विधानसभा सचिवालय की तरफ से जारी की गई एक प्रेस रिलीज के अनुसार, सदन के कामकाज को कागज रहित बनाने के मकसद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पित ‘वन नेशन, वन एप्लीकेशन’ अवधारणा के तहत एनईवीए परियोजना लागू की गई है। इससे विधानसभा के कामकाज में पारदर्शिता आएगी।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, “एनईवीए एक प्रगतिशील परिवर्तन है जो गुजरात विधानसभा के कामकाज में पारदर्शिता लाएगा और सदन के सदस्यों को अन्य विधानसभाओं की सर्वोत्तम प्रथाओं तक पहुंचने में भी मदद करेगा।” उन्होने आगे कहा कि वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संबोधन में कहा कि हाल ही में संपन्न जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान शुरू किया गया वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के बाद भारत के नेतृत्व में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि नए और नवीकरणीय स्रोत देश को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेंगे।

ग्लोबल वार्मिंग के नकारात्मक प्रभाव- राष्ट्रपति

उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के नकारात्मक प्रभावों का सामना कर रही है, जो मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन के उपयोग के कारण होता है। मुर्मू ने कहा, “इस स्थिति से निपटने के लिए, भारत की अध्यक्षता में जी-20 देश 2030 तक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को 43 प्रतिशत तक कम करने पर सहमत हुए हैं। जी-20 देशों का यह संकल्प महत्वपूर्ण है क्योंकि कुल उत्सर्जन में जी-20 देशों का योगदान लगभग 80 प्रतिशत है।”

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