मणिपुर हिंसा पर SC ने केंद्र को जमकर लगाई फटकार, CJI ने पूछा- अब तक कितने केस दर्ज किए?

मणिपुर में हालात सामान्य होने का नाम नहीं ले रहे हैं। वहीं आज यानी सोमवार (31 जुलाई) को सर्वोच्च न्यायालय में मणिपुर में जारी महिलाओं के साथ बर्बरता पर सुनवाई हुई। मणिपुर के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जमकर फटकार लगाई है। मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने के वायरल वीडियो मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य में करीब तीन महीने पहले शुरू हुई हिंसा भड़कने के बाद यह महिलाओं के खिलाफ एकमात्र उदाहरण नहीं है मणिपुर में जिन महिलाओं को नग्न घुमाया गया और उनके साथ यौन उत्पीड़न किया गया, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सीजेआई ने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि जब कोई दूसरा वीडियो सामने आए तभी हम मामला दर्ज करने का निर्देश दें…हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इन तीन महिलाओं के साथ न्याय हो।
सीजेआई ने केंद्र से पूछा
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि, “4 मई की घटना पर पुलिस ने 18 मई को FIR दर्ज की। 14 दिन तक कुछ क्यों नहीं हुआ? वीडियो वायरल होने के बाद यह घटना सामने आई कि महिलाओं को नग्न कर घुमाया गया और कम से कम दो के साथ बलात्कार किया गया। पुलिस तब क्या कर रही थी?” CJI ने पूछा कि 3 मई को कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा भड़कने के बाद से महिलाओं पर हमले की कितनी एफआईआर दर्ज की गई हैं?
सीजेआई ने आगे कहा, “हमें जानना है कि 6000 FIR का वर्गीकरण क्या है, इनमें कितने जीरो FIR हैं, क्या कार्रवाई हुई है, कितनी गिरफ्तारी हुई है? हम कल सुबह फिर सुनवाई करेंगे. परसों अनुच्छेद 370 केस की सुनवाई शुरू हो रही है इसलिए इस मामले की कल ही सुनवाई करनी होगी। इस पर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “कल सुबह तक FIR का वर्गीकरण उपलब्ध करवा पाना मुश्किल होगा।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत से कहा कि वे घटना की सीबीआई जांच नहीं चाहते हैं। वे यह भी नहीं चाहते कि मामले को राज्य से बाहर ट्रांसफर किया जाए। सिब्बल ने कहा, “यह स्पष्ट है कि पुलिस हिंसा करने वालों का सहयोग कर रही है। वे महिलाओं को भीड़ में ले गए। उन्होंने आगे कहा, “अगर पक्षपात का कोई तत्व है, तो एक स्वतंत्र एजेंसी की जरूरत है।” सुप्रीम कोर्ट ने संघर्षग्रस्त राज्य में महिलाओं के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए एक व्यापक तंत्र विकसित करने के लिए किया।
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