
मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जारी हिंसा के मामले में भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव के संकेत मिल रहे हैं। हालांकि भारत ने इसका विरोध किया है। यूरोपीय संसद इस मामले में बहस कर रही है। लेकिन भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है।
अंग्रेजी अख़बार ‘द हिंदू’ की ख़बर में कहा गया है कि भारत ने इसे अपना आतंरिक मामला बताते हुए यूरोपीय संसद की मणिपुर हिंसा पर ‘अर्जेंट डिबेट’ की योजना को ख़ारिज किया है।
यूरोपीय संसद बुधवार को होने वाली बहस का एजेंडा मणिपुर की हिंसा की निंदा और यूरोपियन यूनियन को भारत सरकार से बातचीत करने का निर्देश देना था। यूरोपीय संसद चाहती है कि यूरोपियन यूनियन के आला अधिकारी भारत सरकार से बात कर इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कहें।
अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने मणिपुर हिंसा पर की बात
भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने भी मणिपुर हिंसा पर बात की। इस महीने की शुरुआत में कोलकाता के अमेरिकन सेंटर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए अमेरिकी राजदूत ने कहा था कि यह कोई राजनीतिक समस्या नहीं बल्कि मानवीय समस्या है।
उन्होंने कहा था, ‘हम मणिपुर में शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। मुझे नहीं लगता कि जब हम बच्चों और लोगों को हिंसा में मरते देखते हैं तो हमें भारतीय होने के नाते इस बारे में चिंता करने की ज़रूरत है। अगर हमसे मदद मांगी जाएगी तो हम हर तरह से मदद करने को तैयार हैं।’ हम जानते हैं कि ये भारत का मामला है। हम शांति के लिए प्रार्थना करते हैं और आशा करते हैं कि जल्द ही शांति कायम होगी।
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