UP: ओबरा इंटर कॉलेज के निजीकरण के खिलाफ विद्यार्थियों ने दिया धरना

ओबरा इंटर कॉलेज के निजीकरण के खिलाफ विद्यार्थियों का बेमियादी धरना प्रारंभ हो गया है। आंदोलनकारियों 06 से इंटर तक छात्र-छात्राओं ने उत्पादन निगम के उच्चाधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाया। धरने पर सुबह से ही बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं अपना पठन पाठन छोड़कर धरने पर इस वजह से बैठे है कि उनके विद्यालय का निजीकरण ना किया जाए। ओबरा पॉवर प्लांट बनते समय सरकार व ऊर्जा विभाग ने ये दावा किया था कि प्लांट के पांच किमी के दायरे में निगम द्वारा स्थानीय लोगों को शिक्षा , सड़क, पानी , स्वास्थ्य मुफ्त प्रदान करेगी।
वर्षो से यही व्यवस्था लागू थी पर अब षडयंत्र के तहत प्राइवेट DAV पब्लिक स्कूल को ओबरा सहित पांच जगहों के विद्यालय सौप कर गरीब बच्चों के पढ़ने लिखने की व्यवस्था को महंगा किया जा रहा है। जिससे आदिवासी क्षेत्रों के गरीब बच्चों की शिक्षा लगभग बन्द हो जाएगी। ओबरा इंटर कॉलेज की फीस 02 रुपये से 10 रुपये अब तक रही है। ऐसे में DAV की जिस 500 से 1000 रुपये व कॉपी किताब का भी रेट महंगा होने से आदिवासियों व गरीबो के बच्चे पढ़ नही सकेंगे जिससे उनकी शिक्षा अधूरी या छूट जाएगी।
वही धरने पर बैठे विद्यार्थियों का कहना है कि शिक्षा के इस माफियाओं के खेल में महज 36 हजार में वार्षिक शुल्क के आधार पर ओबरा, अनपरा, पनकी, परीक्षा, हरदुआगंज के उत्पादन निगम के सभी विद्यालयों को लीज के आड़ में बेच दिया गया है। ऐसा घृणित कार्य करते समय गरीब बच्चों की आह का तनिक भी उच्चाधिकारियों को ध्यान नहीं रहा। ओबरा थर्मल पावर प्लांट के जमीन पर बना इंटर कॉलेज ,गर्ल कालेज व डिग्री कालेज को गरीब बच्चों के उत्थान के लिए बनाया गया था। पर आज के समय मे ओबरा इंटर कॉलेज व चार अन्य जगहों के विद्यालय को महज 36 हजार रुपये के वार्षिक देय पर लीज पर देने के पीछे क्या सोच हो सकती है ये तो ऊर्जा मंत्रालय ही बता सकता है।
धरनारत छात्र-छात्राओं ने कहा कि ओबरा इंटर कालेज को निजी हाथों में सौंपने का निर्णय हो चुका है, जो पिछड़े जाती,अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति, आदिवासी और जरूरतमंद गरीब विद्यार्थियों के साथ घोर अन्याय है। ओबरा इंटर कालेज को निजी हाथों में देने के प्रस्ताव से हम सब और हमारा संगठन अहिंसात्मक विरोधकर रहा है। जब कभी भी कोई परियोजना लगाई जाती है तो बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं कि शिक्षा, चिकित्सा, शुद्ध पेयजल, पर्यावरण संरक्षण आदि के काम होंगे पर यहां पूर्व से चल रही शिक्षा व्यवस्था को निजी हाथों में दे दिया गया है।
मांगों के बारे में विद्यर्थियों ने कहा कि ओबरा इंटर कालेज ओबरा को उत्पादन निगम या सार्वजनिक या प्रांतिकरण या राजकीय क्षेत्र में संचालित किया जाए। कारपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी का धन उसी मद में ओबरा और निकट व्यय किया जाए। गैर जिलों में न भेजा जाए। डीएबी या उसके जैसा किसी अन्य संस्थान को न दिया जाए, जिसमें गरीब बच्चों की पढ़ाई न हो सके। कारपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के धन को ओबरा इंटर कालेज और स्थानीय विद्यालय को देकर पूर्व की भांति न्यूनतम शुल्क पर ही पढ़ाई की जाए। कारपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के धन की जांच कराई जाए।
रिर्पोटर – प्रवीन पटेल
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