
मुख्यमंत्री पुष्कर ने खाली पड़े सरकारी पदों को भरने का मामला रहा हो, या उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग UKSSSC के पेपर लीक कांड के बाद 50 के आसपास नकल माफिया आरोपियों को जेल की सलाखों के पीछे धकेला हो। मैसेज एक ही देने की कोशिश रही कि युवा सीएम युवा बेरोजगारों के हक में हर बड़ा कदम उठाने से हिचकिचाएंगे नहीं।
लेकिन पेपर लीक कांड की सीबीआई जांच की मांग पर मुख्यमंत्री धामी और बेरोजगार युवाओं की आवाज उठा रहे उत्तराखंड बेरोजगार संघ और उसके अध्यक्ष बॉबी पंवार में ठन गई।
नतीजा ये रहा कि बेरोजगारों की नकल माफिया पर निर्णायक प्रहार को लेकर पेपर लीक कांड की सीबीआई से जांच कराने की मांग जोर पकड़ती गई और इसकी परिणति आठ और नौ फरवरी के पुलिस लाठीचार्ज और पत्थरबाजी के तौर पर सामने आई।
इस घटना के बाद बेरोजगार युवाओं में यह परसेप्शन बनने लगा कि युवा होकर भी सीएम उनकी सीबीआई जांच की मांग न मानकर किसी को बचाना चाह रहे हैं, तो वहीं सीएम धामी ने इसके पीछे विपक्षियों का हाथ बताकर काउंटर किया कि उनको सीबीआई जांच से परहेज नहीं लेकिन भर्ती परीक्षाएं कई सालों के लिए लटक जाएंगी।
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