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जापान में ऐसा क्या हुआ कि रातों रात युवाओं को शराबी बनाने के चक्कर में पड़ गई सरकार?

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ताज़ा आंकड़ों के अनुसार जापान में 1995 की तुलना में 2020 में बहुत कम शराब पी रहे हैं. साल 1995 में जापान में शराब पीने वाला व्यक्ति एक वर्ष में औसतन सौ लीटर शराब पीता था. 2020 में ये औसत 75 लीटर हो गया है. इसका असर सरकार को शराब से होने वाली आमदनी पर साफ़ पड़ा है.

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आम तौर पर हमारे देश में यह माना जाता है कि शराब बहुत ही बुरी चीज होती है. इसका स्वास्थ्य पर बुरा असर तो पड़ता ही है साथ ही सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से भी इसे खराब माना जाता है. क्योंकि इसकी वजह से आपराधिक मामलों में बढ़ोतरी होती है. इसलिए भारतीय युवाओं को न सिर्फ इससे दूर रहने की सलाह दी जाती है बल्कि इसके लिए कई कड़े कानून भी लागू हैं. बिहार और गुजरात जैसे राज्यों में शराबबंदी कानून आज भी लागू है.

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लेकिन इसके उलट अगर किसी देश की सरकार इस बात पर जोर देने की कोशिश करे कि युवाओं को ज्यादा से ज्यादा शराब पिलाया जाए तो यह सुनकर किसी को भी हैरानी हो सकती है. लेकिन भले ही यह बात सुनने में अजीब लगे लेकिन यह सच है. दुनिया में एक देश ऐसा है जो चाहता है कि उसके युवाओं में शराब के सेवन को बढ़ाया जाए. और इसके लिए खुले तौर पर युवाओं से ही बिजनेस आइडिया मांगा जा रहा है. और ऐसा करने वाले देश का नाम है जापान.

युवाओं में शराब की खपत बढ़ाने के लिए शुरु किया गया कैंपेन

जापान की परंपरागत शराब साके है जिसे चावल से बनाया जाता है और यह जापान ही नहीं बल्कि दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी काफी लोकप्रिय है. जापान में ‘साके वीवा’ नाम के एक कॉन्टेस्ट चलाया जा रहा है जिसका उद्देश्य युवाओं में साके के सेवन के ट्रेंड को लोकप्रिय बनाना है. जिसमें 20 से 39 साल के बीच के लोग हिस्सा ले सकते हैं. उन्हें इस आयु वर्ग के बीच जापानी साके, शोचू, व्हिस्की, बीयर और वाइन को मशहूर बनाने का बिज़नेस आयडिया देना है. इसमें लोग शराब की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए प्रोमोश्नल कैंपेन, ब्रैंडिंग और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के ज़रिए नए आइडियाज़ भी पेश कर सकते हैं. इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले लोगों को सितंबर के आख़िर तक अपने आयडियाज़ सरकारी एजेंसी को भेजने हैं. इसके बाद सामने आए बिज़नेस आयडिया को विशेषज्ञों की मदद से बेहतर बनाया जाएगा. और जाहिर सी बात है कि जिसका आइडिया हिट हुआ उसे बड़ा इनाम भी दिया जाएगा.

लेकिन जापान आखिर क्यों चाहता है कि उसके देश का युवा ज्यादा से ज्यादा शराब पिएं?

जापान की परंपरागत शराब साके है जिसे चावल से बनाया जाता है और यह जापान ही नहीं बल्कि दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी काफी लोकप्रिय है. लेकिन जापान के युवा वर्ग में शराब पीने की आदत यहां के बुजुर्गों के मुकाबले काफी कम है. साथ ही कोविड महामारी के बाद जापान में शराब पीने वालों की संख्या में भारी गिरावट आई है. युवाओं में शराब पीने के घटते ट्रेंड और महामारी के कारण शराब पीने की आदत में कमी के कारण सरकार को टैक्स में काफी नुकसान हो रहा है. जापान में युवाओं में शराब पीने की आदत अपने बड़ों से कहीं कम है. लेकिन वहाँ की सरकार चाहती है कि ये हालात बदलें और युवा शराब का सेवन बढ़ाएं.ताकि इंडस्ट्री को इसका लाभ मिल सके.

जापान में घटी शराब की खपत ने बढ़ाई चिंता

ताज़ा आंकड़ों के अनुसार जापान में 1995 की तुलना में 2020 में बहुत कम शराब पी रहे हैं. साल 1995 में जापान में शराब पीने वाला व्यक्ति एक वर्ष में औसतन सौ लीटर शराब पीता था. 2020 में ये औसत 75 लीटर हो गया है. इसका असर सरकार को शराब से होने वाली आमदनी पर साफ़ पड़ा है. जापान टाइम्स नाम के अख़बार के अनुसार 1980 में देश के कुल टैक्स का 5% हिस्सा शराब से आता था जो 2020 में घटकर महज़ 1.7% रह गया है. जिसके बाद जापान के सरकारी एजेंसी की चिंता काफी बढ़ गई है. और आखिरकार उसे शराब के प्रमोशन के लिए यह कदम उठाना पड़ रहा है. इस सारे अभियान के लिए एक वेबसाइट बनाई गई है. उस वेबसाइट के मुताबिक़ जापान में शराब की मार्केट सिकुड़ रही है और इसके लिए देश की घटती जन्मदर के अलावा बूढ़ी होती आबादी भी ज़िम्मेदार है.

वहीं जापानी सरकार के इस अभियान पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया आ रही है. कुछ लोग इस बात की साफ़ आलोचना कर रहे हैं कि ये एक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक आदत को प्रोमोट करने जैसा है. वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग इस फैसले का स्वागत भी कर रहे हैं.

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