रक्षाबंधन के बाद अब जन्माष्टमी को लेकर हो रहा कन्फ्यूज़न, जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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रक्षाबंधन के बाद अब जन्माष्टमी को लेकर भी लोगों के बीच कन्फ्यूश़न शुरू हो चुका है। कुछ लोगों का कहना है कि जन्माष्टमी 18 को है तो कुछ लोगों का कहना है कि 19 है तो वहीं ज्योतिषाचार्य का कहना है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद की अष्टमी तिथि के रोहिणी नक्षत्र की अर्धरात्रि में हुआ था और इस बार भाद्रपद की अष्टमी तिथि 18 तारीख को पड़ रही है। जब भी जन्माष्टमी को लेकर विचार किया जाता है तो हमेशा रोहिणी नक्षत्र का ध्यान रखा जाता है लेकिन इस बार 18 और 19 दोनों ही दिन ये नक्षत्र नहीं बन पा रहा है तो ऐसे में ये एक बड़ी समस्या का विषय बना हुआ है।

विद्वानों ने कहीं ये बड़ी बातें

इस बार जन्माष्टमी की तिथि को लेकर लोगों के बीच काफी ज्यादा संदेह बना हुआ है लोग अपने अनुमान से तारीख का अंदाजा लगा रहें है कोई कह रहा है 18 तो कोई कह रहा है 19 वहीं विद्वानों ने चीजों को स्पष्ट करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रात 12 बजे हुआ था तो इसलिए ये योग अब की बार 18 अगस्त को पड़ रहा है इसलिए इस बार जन्माष्टमी 18 अगस्त को मनाई जाएगी। वहीं इस बार जन्माष्टमी पर ध्रुव और वृद्धि योग का निर्माण योग भी बन रहा है और ये योग 18 अगस्त की रात 8 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।

हर्षोउल्लास के साथ पूरे देश में मनाई जाती है जन्माष्टमी

हर साल पूरे देशभर में बेहद ही हर्षोउल्लास अंदाज के साथ जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भक्त व्रत रहकर पूरे नियम के साथ श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना करते हैं। इस खास दिन को लोग बेहद ही  धूमधाम से मनाते हैं। मंदिरों के अलावा लोग घरों में भी भगवान श्रीकृष्ण को सजाते हैं और उनके लिए झूला भी बांधते हैं। कई लोगों के घर में कान्हा एक सदस्य की तरह रहते हैं,ऐसे में कान्हा के लिए भोग बनता है और उनकी पूजा की जाती है।

जानें जन्माष्टमी की सही पूजा विधि

जन्माष्टमी के दिन लोग व्रत भी रखते हैं। भगवान के जन्म के बाद लोग अपना व्रत खोलते हैं इसके बाद पूजा विधि मध्यरात्रि के बाद शुरू की जाती है, सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण को स्नान कराया जाता है और इसके बाद उन्हें नए वस्त्र पहनाए जाते हैं, इसके बाद उन्हें पालने या झूले में बैठाया जाता है और बेहद ही श्रद्धा भाव से भगवान के भजन गाकर उनकी पूजा की जाती है साथ ही प्रसाद में माखन मिश्री का भोग लगाया जाता है क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण को माखन मिश्री अत्यंत प्रिय है इसके अलावा फल, मिठाई और चूरन से भी आप भगवान को भोग लगा सकते हैं।