भारतीय रेलवे के 172 साल हुए पूरे, आज ही के दिन चली थी पहली ट्रेन

172 years of Indian Railways : 

भारतीय रेलवे के 172 साल हुए पूरे

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172 years of Indian Railways : आज भारतीय रेल ने अपने 172 साल पूरे कर लिए हैं। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि उस सफर की कहानी है जो देश की धड़कन बन चुकी है। 16 अप्रैल 1853 को जब पहली पैसेंजर ट्रेन ने मुंबई के बोरीबंदर से ठाणे के लिए अपनी यात्रा शुरू की थी, तब शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि यही रेलगाड़ी एक दिन भारत की जीवनरेखा बन जाएगी। उस दिन दोपहर 3:30 बजे तीन भाप इंजन – साहिब, सिंध और सुल्तान – 400 यात्रियों को लेकर चली और 1 घंटे 15 मिनट में 34 किलोमीटर का सफर तय कर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा गई।

उस दौर में रेलवे की शुरुआत अंग्रेजों ने अपने व्यापारिक हितों के लिए की थी, लेकिन समय के साथ यह आम भारतीय की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गई। माल ढोने से शुरू हुई रेल सेवा धीरे-धीरे लोगों के दिलों को जोड़ने का जरिया बन गई। रेलवे स्टेशन सिर्फ सफर की शुरुआत नहीं बने, बल्कि लाखों कहानियों, विदाइयों और मुलाकातों के गवाह भी बने।

रेलवे ने जोड़ी देश की धड़कनें

शुरुआत एक छोटे से रूट से हुई थी, लेकिन आज भारतीय रेल का नेटवर्क 65,500 किलोमीटर से ज्यादा लंबा हो चुका है। यह न केवल यात्रियों को जोड़ता है, बल्कि रोजाना लाखों टन सामान भी देश के कोने-कोने तक पहुंचाता है। यही वजह है कि भारतीय रेल को देश की रीढ़ कहा जाता है। वक़्त के साथ रेलवे ने भी खुद को बदला। भाप के इंजनों से शुरू हुई यह यात्रा अब वंदे भारत जैसी आधुनिक और हाई-स्पीड ट्रेनों तक पहुंच चुकी है।

इतिहास की कुछ अहम कड़ियां:

  • 1854: हावड़ा से हुगली के बीच पूर्वी भारत की पहली ट्रेन सेवा शुरू।
  • 1856: मद्रास (अब चेन्नई) में व्यासपदी जीवा निलयम से वालाजाह रोड तक दक्षिण भारत की पहली ट्रेन।
  • 1969: पहली राजधानी एक्सप्रेस की शुरुआत, दिल्ली से हावड़ा के बीच।
  • 1988: पहली शताब्दी एक्सप्रेस, दिल्ली से झांसी के बीच चली।
  • 2016: गतिमान एक्सप्रेस ने सबसे तेज़ ट्रेन के रूप में शुरुआत की (160 किमी प्रति घंटे की स्पीड)।
  • 2019: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई, जो नई दिल्ली से वाराणसी के बीच दौड़ी।

वंदे भारत से बदल रहा है सफर का अनुभव

आज भारतीय रेल के पास तेजस, शताब्दी, दुरंतो और राजधानी जैसी प्रीमियम ट्रेनों के साथ-साथ 102 वंदे भारत ट्रेनें 51 रूट्स पर संचालित हो रही हैं। आने वाले समय में रेलवे की योजना है कि स्लीपर वंदे भारत ट्रेनें भी पटरियों पर दौड़ें, जिससे लंबे सफर भी ज्यादा आरामदायक बन सकें।

तकनीक और सुविधा में भी आगे है भारतीय रेल

रेलवे ने जहां एक ओर अपनी रफ्तार को बढ़ाया है, वहीं दूसरी ओर यात्रियों की सुविधाओं का भी खास ध्यान रखा है। अब ट्रेनों में ऑनबोर्ड वाई-फाई, मॉडर्न कोच, जीपीएस ट्रैकिंग, बायो-टॉयलेट्स और डिजिटल टिकटिंग जैसी सुविधाएं आम हो चुकी हैं।

भारतीय रेल सिर्फ ट्रेनों की कतार नहीं

भारतीय रेल सिर्फ ट्रेनों की एक कतार नहीं, बल्कि वो भावनात्मक रिश्ता है, जो हर भारतीय के दिल में कहीं न कहीं बसता है। किसी के लिए पहली नौकरी की ओर जाने वाला रास्ता, तो किसी के लिए अपनों से मिलने का जरिया। यह रेलगाड़ियां सिर्फ लोगों को मंजिल तक नहीं पहुंचातीं, बल्कि उनके सपनों को भी एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक ले जाती हैं।

172 सालों का यह सफर भरोसे, बदलाव और विकास की पटरी पर लगातार दौड़ता रहा है। आने वाले समय में यह रेल और भी तेज, सुरक्षित और तकनीकी रूप से समृद्ध होगी। लेकिन जितनी भी ट्रेनें दौड़ें, भारतीय रेल हमेशा हमारे दिलों में उस पहली भाप इंजन वाली गाड़ी की सीटी की गूंज के साथ ही रहेगी।

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