Yamraj : जब-जब चित्रगुप्त ने किया कर्मों का हिसाब, तब-तब पृथ्वी पर आए यमराज

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Yamraj : कलयुग में व्यक्ति के ज़ुर्म की सजा देने के लिए न्यायपालिका बनी है। मगर, आपके कर्मों का लेखा जोखा कोई और रखता है। आपके कर्म ही बताते हैं कि मृत्यु के बाद आप स्वर्ग में जाएंगे या नरक भोगेंग। बहुत से लोग कुछ भी करते हुए यह सोचते हैं की किसको ही पता चलेगे। तो आपको बता दें की हिंदू धर्म के अनुसार चित्रगुप्त आपके द्वारा किए हर काम का लेखा जोखा रखते है।

पितृलोक के देवता

लोग आमतौर पर यह मानते हैं कि यमराज नरकलोक के देवता हैं या नरक में निवास करते हैं। मगर, असल में यमराज पितृलोक के देवता हैं और चित्रगुप्त उनके मुनीम हैं। यमराज नाम सुनते ही लोगों के दिमाग में केवल मृत्यु का ख्याल आता है। ऐसा माना जाता है कि जब व्यक्ति का जीवन समाप्ती की ओर होता है तो यमराज आते हुए दिखने लगते हैं।

व्यक्ति के जीवनभर में किए सभी कर्म उसके ऋण होते हैं। जिसका बही खाता चित्रगुप्त के पास लिखा होता है। इसी के अनुसार यमराज आपको स्वर्ग और नरक में भेजते हैं। आपका अगला जन्म क्या होगा, मनुष्य, जानवर, पशु, पक्षी, अमीर घर में जन्म, गरीब घर में जन्म, स्त्री, पुरुष, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र और विकलांगता होगा या नहीं। यह सब आपके कर्मों पर निर्भर करता है।

यमराज ने दिया वरदान

सूर्य के दो जुड़वा संतान थीं, यमराज और यमी। यमी का विवहा देवताओं के लेखपाल चित्रगुप्त से हुआ। जिस रिश्ते से चित्रगुप्त यमराज के बहनोई हैं। एक दिन यमी ने यमराज से घर आने का आग्रह किया। अंततः कार्तिक मास की द्वितीय के दिन यमराज अपनी बहन के घर गए। यमी ने यमराज का तिलक कर उनसे वचन लिया कि कार्तिक मास की द्वितीय के दिन भाई को अपनी बहन के घर अवश्य जाना होगा। यमराज ने प्रसन्न हो कर वरदान दिया कि मैं अवश्य तेरे घर आऊं। साथ ही यह भी कहा कि पृथ्वी लोक पर रहने वाला कोई भी नर यमुना नदी में स्नान करने के बाद अपनी बहन के घर जाएगा, तो उसे नरक नहीं भोगना पड़ेगा।

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