The Kashmir Files: 5 हजार घंटे रिसर्च, 700 पीड़ितों का Interview, 4 साल में ऐसे बनी फिल्म

इन दिनों The Kashmir Files फिल्म की कामयाबी देखने को मिल रही है. विवेक अग्निहोत्री की ‘द कश्मीर फाइल्स’ में कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अत्याचार को दिखाया गया है. इस फिल्म ने फिलहाल ऐसे कई सेट स्टैंडर्ड को तोड़ रखा है जो किसी फिल्म को लेकर माने जाते हैं.
देशभर में लोकप्रिय हो रही The Kashmir Files
जैसे लगभग किसी फिल्म की चर्चा उसमें काम करने वाले बड़े-बड़े सितारों के नाम पर होती है या फिर फिल्म रिलीज के पहले फिल्म का कोई गाना हिट हो जाता है तो होती है. लेकिन ‘द कश्मीर फाइल्स’ के साथ सबसे खास बात ये है कि इस फिल्म को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा किसी बड़े सितारे की नहीं बल्कि फिल्म डायरेक्टर विवेक रंजन अग्निहोत्री की हो रही है.
बड़े अभिनेताओं ने किया काम
हालांकि इस फिल्म में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती और दर्शन कुमार जैसे बड़े अभिनेताओं ने काम किया है. इसकी एक वजह यह भी है कि इस फिल्म के प्रमोशन की पूरी जिम्मेदारी डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने अपने कंधों पर ले रखी है.
विवेक अग्निहोत्री ने दी जानकारी
देशभर में धूम मचा रही The Kashmir files को लेकर आज दिल्ली में विवेक अग्निहोत्री ने प्रेस वार्ता की. यह प्रेस कॉन्फ्रेंस फिल्म रिलीज होने के 3 दिन बाद दिल्ली में की गई. जबकि इससे पहले मुंबई में की जाती थी. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को करने का मुख्य मकसद यह था कि विवेक अग्निहोत्री ये बताना चाहते थे कि फिल्म को बनाने में कितनी मेहनत की गई, किन-किन बारीकियों का ख्याल रखा गया, साथ ही फैक्ट और रियलिटी के लिहाज से यह फिल्म कितनी सटीक है.
5 हजार घंटे की गई रिसर्च
मीडिया से बातचीत करते हुए विवेक अग्निहोत्री बताते है कि, इस फिल्म को बनाने में 5,000 घंटे की रिसर्च की गई, 15 हजार पेज के डॉक्यूमेंट इकट्ठा किए गए. लगभग डेढ़ घंटे की प्रेस कॉन्फ्रेंस में विवेक अग्निहोत्री ने 20 मिनट का एक वीडियो भी दिखाया. इस वीडियो में उन कश्मीरी पंडितों का इंटरव्यू था जो असल में उन दिनों कश्मीर में ही मौजूद थे.
700 कश्मीरी पंडितों का लिया गया इंटरव्यू
आगे उन्होंने बताया कि वह और उनकी पत्नी पल्लवी जोशी ने असली पीड़ित कश्मीरी पंडितों से मिलने के लिए दुनिया भर के कई देशों और भारत के कई शहरों के चक्कर लगाए और लगभग 700 से ज्यादा पीड़ित कश्मीरी पंडितों का इंटरव्यू रिकॉर्ड किया. इस फिल्म को बनाने में 4 साल का लंबा वक्त लगा. 20 मिनट के इस वीडियो में कई जगह पीड़ितों से बात करते-करते विवेक और पल्लवी जोशी अपने आंसू पोछते हुए दिखाई पड़ते हैं.