
अहम बातें एक नजर में –
- उत्तराखंड सरकार ने सभी सरकारी स्कूलों में श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का रोजाना पाठ अनिवार्य किया है.
- हर दिन प्रार्थना सभा के दौरान छात्रों को अर्थ सहित एक श्लोक सुनाया जाएगा.
- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे बच्चों के व्यक्तित्व, चरित्र एवं नेतृत्व कौशल के विकास के लिए जरूरी बताया.
Uttarakhand Schools : उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों में अब प्रातः काल की प्रार्थना सभा के दौरान भगवद् गीता के श्लोकों का पाठ कराया जाएगा. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मार्गदर्शन देने वाली पुस्तक है. उन्होंने कहा कि “भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया ज्ञान आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना महाभारत काल में था.” मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग को निर्देश देते हुए कहा है कि यह व्यवस्था राज्य के सभी स्कूलों में सुनिश्चित की जाए.
गीता पाठ का उद्देश्य एवं असर
गीता पाठ का प्रमुख उद्देश्य बच्चों को भारतीय ज्ञान परंपरा से अवगत कराना एवं आधुनिक शिक्षा में संतुलन लाना है. गीता के श्लोक बच्चों के व्यवहार, निर्णय क्षमता, नेतृत्व कौशल और भावनात्मक संतुलन को विकसित करेंगे. आदेश में स्पष्ट किया गया है कि श्लोक केवल पाठ्य सामग्री नहीं, बल्कि आचार-व्यवहार में दिखने चाहिए, जिससे बच्चे वास्तविक जीवन में इसका लाभ उठा सकें.
शिक्षकों की नई भूमिका
शिक्षकों को अब एक नई भूमिका निभानी होगी, जिसमें वे सप्ताह का एक श्लोक चुनकर उसका अर्थ नोटिस बोर्ड पर लिखेंगे और विद्यार्थियों को समझाएंगे. सप्ताह के अंत में, शिक्षक छात्रों के साथ श्लोक पर चर्चा करेंगे, जिससे शास्त्र का गूढ़ अर्थ व्यवहार में उतर सके. इसके अलावा, शिक्षक समय-समय पर श्लोकों की व्याख्या कर उनकी उपयोगिता समझाएंगे, जिससे छात्रों को गीता के श्लोकों का वास्तविक अर्थ और महत्व समझने में मदद मिलेगी.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप पहल
- यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत लिया गया है, जिससे पारंपरिक भारतीय ज्ञान व मूल्यों का समावेश हो सके.
- बच्चों को मनोविज्ञान, तर्कशास्त्र एवं नैतिक दर्शन की समझ धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण से दी जाएगी.
- विद्यार्थियों में मानवीय मूल्य, नेतृत्व, वैज्ञानिक सोच और चरित्र निर्माण पर विशेष जोर रहेगा.
गीता का पाठ केवल रटने के लिए नहीं
उत्तराखंड सरकार के आदेश में विशेष निर्देश है कि गीता के श्लोक केवल पढ़ने तक सीमित न रहें, बल्कि उनका असर विद्यार्थियों के व्यवहार, सोच और दृष्टिकोण में भी परिलक्षित हो. इस पहल का मुख्य उद्देश्य श्लोकों को जीवन में उतारना, मूल्यों को अपनाना और व्यवहार में दर्शाना है. इसके साथ ही, आध्यात्मिकता के साथ विद्यार्थियों की तार्किक और वैज्ञानिक सोच भी विकसित की जाएगी। यह पहल न केवल शिक्षा में बदलाव का प्रतीक है, बल्कि राष्ट्र निर्माण के लिए भी एक आदर्श मॉडल बन सकती है.
एनसीईआरटी से अनुरोध
उत्तराखंड सरकार ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) से स्कूली पाठ्यक्रम में हिंदू धर्मग्रंथ भगवद् गीता एवं रामायण को शामिल करने का अनुरोध किया है. यह कदम शिक्षा में पारंपरिक ज्ञान और मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है.
यह भी पढ़ें- यमन में फांसी से बची भारतीय नर्स निमिषा प्रिया, जानिए कैसे भारत की कूटनीति ने बचाई उसकी जान!
Hindi Khabar App: देश, राजनीति, टेक, बॉलीवुड, राष्ट्र, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल, ऑटो से जुड़ी ख़बरों को मोबाइल पर पढ़ने के लिए हमारे ऐप को प्ले स्टोर से डाउनलोड कीजिए. हिन्दी ख़बर ऐप