UP: मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो सकती है, फिर मुर्दे क्यों नहीं चल सकते- स्वामी प्रसाद मौर्य

UP: स्वामी प्रसाद मौर्य अपने विवादित बयानों की वजह से लगातार चर्चाओं में बने रहते हैं। जहां एक ओर लोग भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर लेकर उत्साहित थे। तो वहीं दुसरी ओर विवादों का सिलसिला भी चल रहा है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य अक्सर चर्चा में रहते हैं क्योंकि वे अक्सर विवादित बयान देते हैं। आज उन्होंने अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर एक बार फिर एक विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर पत्थर में प्राण प्रतिष्ठा करने से वह सजीव हो सकता है तो मुर्दे क्यों नहीं चल सकते?
प्राण प्रतिष्ठा एक ढ़ोंग-स्वामी प्रसाद मौर्य
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि देश में बेरोजगारी पर चर्चा न होने के लिए ऐसे ड्रामे का इस्तेमाल किया जा रहा है। राष्ट्रपति को दिल्ली में हुआ अपमान याद था, इसलिए वे इस कार्यक्रम से दूर रहीं। उनका कहना था कि भगवान राम को हजारों साल से पूजा जा रहा है और करोड़ों लोगों ने हजारों साल से उसकी पूजा की है, तो उसे प्राण प्रतिष्ठा करने की क्या जरूरत है? आज सत्ता में बैठे लोग अपनी गलतियों को छिपाने के लिए इस तरह की राजनीति का सहारा ले रहे हैं।
केवल भाजपा का ये कार्यक्रम था
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि मुर्ति में प्राण प्रतिष्ठा करके ये लोग खुद को भगवान से ऊपर समझ रहे हैं। यह बात जनता को समझना होगा की आज बेरोजगारी पर चर्चा नहीं होती, इसलिए इस तरह का ड्रामा किया जा रहा है। बता दें, धार्मिक कार्यक्रम में चारों शंकराचार्य शामिल होते, लेकिन देश के राष्ट्रपति को आमंत्रित करने के बावजूद वे नहीं आईं। इसलिए क्योंकि वह अपने अतीत का अपमान भूल नहीं पाई है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि कार्यक्रम सिर्फ भाजपा का था। क्योंकि विश्व हिंदू परिषद, भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही पूरे कार्यक्रम में भाग ले रहे थे।
मूर्ति में जान आ सकती है तो मुर्दों में क्यों नहीं।
समाजवादी पार्टी ने गाजीपुर के लंका मैदान में जननायक कर्पूरी ठाकुर के जन्म शताब्दी की पूर्व संध्या पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया। मुख्य अतिथि स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंच पर बोलते हुए कहा कि एक दिन पहले अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी, अगर पत्थर संजीव हो सकता है तो मुर्दे क्यों नहीं चल सकते? उनका कहना था कि यह सब पाखंड, ढोंग और आडंबर है। वैसे भी, जो खुद भगवान है और सबका कल्याण करता है, उसमें प्राण प्रतिष्ठा करने के लिए क्या हैसियत है? यह लोग भगवान से अधिक महत्वपूर्ण होने की कोशिश कर रहे हैं।