J&K News: कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को लगातार टारगेट किया जाता है। एक बार फिर मौत का ये सिलसिला शुरु हो गया है। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में एक बार फिर टारगेट किलिंग (Target Killing) की घटना सामने आयी है। दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों ने एक कश्मीरी पंडित को गोली मार दी। घायल को अस्पताल ले जाया गया लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। आतंकियों ने संजय शर्मा (40 साल) पर तब हमला किया जब वह पत्नी के साथ सुबह 10.30 बजे मार्केट जा रहे थे।संजय अचान के रहने वाले थे और बैंक में सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर तैनात थे। अक्टूबर 2022 के बाद ये कश्मीर घाटी की पहली टारगेट किलिंग है।
घटना पर महबूबा मुफ्ती का बयान
इस टारगेट किलिंग की घटना पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा, ‘इन्हें फायदा हो रहा है।’ BJP ऐसी घटनाओं का इस्तेमाल मुस्लिमों की छवि खराब करने के लिए करती है। ये लोग घाटी में सामान्य हालात होने का दावा करने के लिए अल्पसंख्यकों का इस्तेमाल करते हैं। मैं इसकी निंदा करती हूं। ये कश्मीरी लोगों का बर्ताव नहीं है। ऐसी घटनाएं सरकार की नाकामी जाहिर करती है।
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकियों ने 2022 में कश्मीर में कश्मीरी पंडितों और प्रवासी मजदूरों पर 29 टारगेटेड अटैक किए थे। मरने वालों में तीन जिला स्तर के नेता थे (पंच और सरपंच), तीन कश्मीरी पंडित, एक स्थानीय गायिका, राजस्थान से एक बैंक मैनेजर, जम्मू से एक टीचर और एक सेल्समैन और 8 प्रवासी मजदूर शामिल थे। इन हमलों में करीब 10 प्रवासी मजदूर घायल हुए।
कश्मीर घाटी में तैनात सिक्योरिटी फोर्सेज पर 12 अटैक किए थे। इसमें ग्रेनेड अटैक भी शामिल थे। आतंकियों ने पुलिसवालों के घरों के पास भी टारगेट अटैक किए जिसमें 3 पुलिसवालों की मौत हुई थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, ये जम्मू-कश्मीर पुलिस ने साल 2022 में किसी भी अन्य सिक्योरिटी एजेंसी की तुलना में ज्यादा सुरक्षाकर्मी खोए। यहां 26 पुलिसवालों की जान गई।
सूत्रो के मुताबिक, टारगेटेड किलिंग पाकिस्तान की कश्मीर में अशांति फैलाने की नई योजना है। माना जा रहा है कि इसका मकसद, आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजनाओं पर पानी फेरना है। आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही कश्मीर में टारगेटेड किलिंग कि घटनाएं बढ़ी हैं, जिसमें खासतौर पर आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों, प्रवासी कामगारों और यहां तक कि सरकार या पुलिस में काम करने वाले उन स्थानीय मुस्लिमों को भी सॉफ्ट टागरेट बनाया है, जिन्हें वे भारत का करीबी मानते हैं।
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