Ujjain News: सेहरा बांध कर महाकाल बने दूल्हा, अनोखा बाबा का रूप

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महाशिवरात्रि (mahashivratri) हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस मौके पर प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में कई परंपराओं का पालन किया जाता है। उज्जैन के महाकालेश्वर(Mahakaleshwar) मंदिर में भी कुछ ऐसी ही परंपरा हैं, यहां महाशिवरात्रि के अगले दिन बाबा महाकाल को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है और सेहरा भी चढ़ाया जाता है। ये सेहरा कई क्विंटल वजनी होता है, जिसे बनाने के लिए विदेशी फूलों का उपयोग भी किया जाता है।

उज्जैन के महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि का पर्व 9 दिन पहले ही शुरू हो जाता है, जिसे शिव नवरात्रि कहते हैं। इन 9 दिनों में रोज भगवान महाकाल को हल्दी, मेहंदी आदि लगाई जाती है और हर वो परंपरा निभाई जाती है जो हिंदू धर्म में दूल्हे के विवाह के पूर्व निभाई जाती है। इन 9 दिनों में भगवान महाकाल को रोज आकर्षक श्रृंगार किया जाता है। साल में सिर्फ एक बार होता है।

महाशिवरात्रि के अगले दिन भगवान महाकाल को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है। इस दिन सुबह की जाने वाली भस्मारती दोपहर 12 बजे की जाती है। भगवान महाकाल का दूल्हे के रूप में श्रृंगार साल में सिर्फ एक बार होता है, इसलिए ये मौका बहुत खास होता है। भगवान शिव के इस स्वरूप को देखने के लिए दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं।

ये सेहरा एकदम ताजा रहे इसके लिए एक दिन पहले एक ही परिवार के 7-8 लोग पूरे दिन काम में जुटे रहते हैं। अलग-अलग हिस्सों में तैयार करके इसे मंदिर ले जाया जाता है और वहां इसे पूरा कर भगवान महाकाल को चढ़ाया जाता है। सेहरे का वजन लगभग ढाई से तीन क्विंटल होता है। उज्जैन के मालीपुरा में रहने वाले अजय परमार पिछले 7-8 सालों से भगवान महाकाल का सेहरा बना रहे हैं।

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