अंग्रेजों के दौर में बने तीन कानून खत्म, अब ठगों को धारा 420 नहीं 316 के तहत मिलेगी सजा…

भारतीय दंड संहिता यानी IPC भारत में होने वाले कुछ अपराधों की परिभाषा और उनके लिए सजा का प्रावधान करती है। इंडियन पीनल कोड की जगह भारतीय न्याय संहिता अब कानून बन चुका है। इसके साथ ही किसी भी जुर्म के होने पर अपराधी को पकड़कर सजा दिलाने से पहले घटना की पहली रिपोर्ट यानी एफआईआर लिखने तक की सारी गतिविधि बदल चुकी हैं। जिसे लेकर वकील, जांच अधिकारी और अदालतों से जुड़े सभी लोग कंफ्यूजन में हैं। अंग्रेजों के दौर में बने तीन कानून अब खत्म हो गए हैं। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने तीनों नए क्रिमिनल लॉ बिल को मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही इन तीनों बिल ने कानून का रूप ले लिया है।
IPC, CRPC और इंडियन एविडेंस एक्ट में बदलाव
राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही अब ये तीनों बिल कानून बन गए हैं। इसके बाद 1860 में बनी IPC को भारतीय न्याय संहिता, 1898 में बनी CRPC को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 1872 के इंडियन एविडेंस एक्ट को भारतीय साक्ष्य संहिता के नाम से जाना जाएगा। भारतीय दंड संहिता की जगह लेने वाले भारतीय न्याय संहिता में 511 की जगह अब 358 खंड होंग, इसमें 21 नए अपराध जोड़े गए है। 41 अपराधों में सजा की अवधि बढ़ी है। 82 में जुर्माना राशि बढ़ी है। 25 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा शुरू की गई है और छह अपराधों में सजा के रूप में सामुदायिक सेवा के प्रावधान हैं, वहीं 19 धाराएं निरस्त की गई हैं।
इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड अब कानूनी रुप से मान्य
भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक लाया गया है। इसमें दो नई धाराएं और छह उप-धाराएं जोड़ी गई हैं। पहले 167 खंड थे अब 170 हो गए हैं। 24 खंडों में संशोधन हुआ है। और छह निरस्त हुए हैं। इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्राप्त बयान साक्ष्य की परिभाषा में शामिल किया गया है। साक्ष्य के रूप में अब इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड को कानूनी मान्यता होगी।
इन धाराओं में हुआ बदलाव
भारतीय दंड संहिता की धारा 302 हत्या के लिए सजा थी। अब हत्या धारा 101 के तहत आएगी। भारतीय दंड संहिता की धारा 420 धोखाधड़ी का अपराध था, जबकि नए विधेयक में धोखाधड़ी धारा 316 के तहत आती है, अब कोई धारा 420 नहीं है। भारतीय दंड संहिता की धारा 144 जो अवैध सभा से संबंधित है, अब धारा 187 कहलाएगी। धारा 121, जो भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने, युद्ध छेड़ने का प्रयास करने, या युद्ध छेड़ने के लिए उकसाने से संबंधित है। उसको अब धारा 146 कहा जाएगा। आईपीसी की धारा 499, जो मानहानि से संबंधित है, अब नए कानून की धारा 354 के तहत आती है।
आईपीसी के तहत बलात्कार से संबंधित धारा 376 अब धारा 63 है और धारा 64 सजा से संबंधित है, जबकि धारा 70 सामूहिक बलात्कार के अपराध से संबंधित है। आईपीसी की धारा 124-ए, जो राजद्रोह से संबंधित थी, अब नए कानून के तहत धारा 150 के रूप में जानी जाएगी।