कोरोना काल में रखें मेंटल हेल्थ का ख्याल: होम आइसोलेशन में हैं तो ये टिप्स करें फॉलो, दिमाग रहेगा चिंता मुक्त
ओमिक्रॉन वैरिएंट के चलते भारत में कोरोना की तीसरी लहर अपना कहर बरसा रही है। बुधवार को देश में 2 लाख 85 हजार 914 नए मामले सामने आए हैं और 692 मरीजों की जान गई। फिलहाल देश में 20.12 लाख एक्टिव केस हैं। ऐसे में होम क्वारैंटाइन में रहने वाले लोगों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। आइसोलेट होकर रहने से भले ही वायरस के फैलने का खतरा कम हो जाता है, लेकिन ये हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव भी डाल सकता है।
कई मामलों में मरीज़ों को मेंटल हेल्थ जैसी परेशानियों, चिंता और डिप्रेशन का सामना करना पड़ता है। आइसोलेशन के वक्त अपने दिमाग को स्वस्थ रखना बेहद ज़रूरी है।
नीचे दी गईं कुछ टिप्स आपकी मेंटल हेल्थ बेहतर रखने में मदद कर सकती हैं..
डेली रूटीन ना छोड़ें
आइसोलेशन पीरियड में अपना डेली रूटीन फॉलो करते रहना चाहिए। इसमें समय पर उठना, खाना, मनोरंजन, सोना आदि शामिल हैं। अगर आप नौकरी करते हैं और फिलहाल छुट्टी पर हैं, तो ये वक्त छोटे-मोटे काम और आराम करते हुए बिताएं। खुद पर ज़्यादा काम करने का प्रेशर ना डालें।
एक्सरसाइज करते रहें
डॉक्टर्स का कहना है कि आइसोलेशन के दौरान भी अपने शरीर को मूव करते रहना चाहिए। रोजाना थोड़ी-बहुत एक्सरसाइज करें, जिससे आपका दिमाग और शरीर दोनों ही तंदुरूस्त रहे। एक्सरसाइज करने से ऑक्सीज़न लेवल बढ़ता है और दिमाग स्वस्थ महसूस करता है, जिससे आपका स्ट्रेस दूर होता है।
प्रियजनों से जुड़े रहें
अपने आप को इतना ज्यादा भी आइसोलेट न करें कि लोगों से बात करना ही बंद कर दें। समय-समय पर अपने परिवार और दोस्तों से संपर्क करें। उनसे अपने मन की बातें शेयर करें। सोशल मीडिया या विडियो कॉल के ज़रिए अपने दोस्त और परिवार से बातचीत करते रहें।
म्यूजिक रखेगा मूड फ्रेश
अकेले रहते हुए मूड तरो ताज़ा रखने का सबसे अच्छा तरीका है अपने मनपसंद गाने सुनना। अगर आप म्यूज़िक के शौकीन हैं तो अपना मूड इससे फ्रेश और दिमाग शांत रख सकते हैं। यदि गानों का शौक नहीं है तो अपनी मनपसंद फिल्में या वेब सीरीज़ देख अपना मनोरंजन कर सकते हैं।
अपनी परिस्थिति को स्वीकारें
कोरोना संक्रमण या कोई भी बीमारी होने पर हमारा शरीर तो परेशान रहता ही है, साथ ही हमारा दिमाग भी परेशान हो जाता है। ऐसे वक्त में आइसोलेट रहकर खुद से ही सारी चीजें मैनेज करना पड़े, तो परेशानियां और बढ़ जाती हैं। ऐसे में सबसे जरूरी है अपनी परिस्थिति को समझकर उसे स्वीकार करना। जब आप ये स्वीकार कर लेंगे कि इस बीमारी से आपको खुद ही लड़ना है, तो आप अंदर से शक्तिशाली महसूस करेंगे। ऐसा करने से आपका दिमाग शांत और धैर्यवान होगा। आपकी भावनाओं में उथल-पुथल भी कम होगी।