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Uttrakhand: HC में अवमानना याचिका पर हुई सुनवाई, इन जिलों के डीएम से मांगा जवाब, जानें क्या है पूरा मामला

Uttrakhand: HC में अवमानना याचिका पर हुई सुनवाई, इन जिलों के डीएम से मांगा जवाब, जानें क्या है पूरा मामला

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Uttrakhand: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नंधौर, गौला, कोसी, गंगा, दाबका सहित अन्य नदियों में वर्षात के समय हो रहे भूकटाव व बाढ़ से नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण आबादी क्षेत्रों में जल भराव, भू कटाव को लेकर पूर्व के आदेश का अनुपालन न करने को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए हरिद्वार और नैनीताल के जिलाधिकारी को चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है.

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कोर्ट ने चार सप्ताह में मांगा जवाब

बता दें कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नंधौर, गौला, कोसी, गंगा, दाबका सहित अन्य नदियों में बारिश के समय हो रहे भूकटाव व बाढ़ से नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण आबादी क्षेत्रों में जल भराव, भू कटाव को लेकर पूर्व के आदेश का अनुपालन न करने को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए हरिद्वार और नैनीताल के जिलाधिकारी को चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है.

दायर याचिका में कही थी ये बात

आपको बता दें कि हल्द्वानी चोरगलिया निवासी भुवन चन्द्र पोखरिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड में बारिश के मौसम में नदियों में शिल्ट जमा होने से नदियों के मुहाने अवरुद्ध हो जाते है. जिससे बाढ़ व भूकटाव के साथ ही आबादी क्षेत्र मे जलभराव होता है. पानी के कटाव के चलते हजारों हैक्टेयर वन भूमि, पेड़, सरकारी योजनाएं बह जाती हैं. नदियों का चैनलाइजेशन नहीं होने पर नदियां अपना रुख आबादी की तरफ कर कर देती हैं. जिसकी वजह से उधम सिंह नगर, हरिद्वार , हल्द्वानी, रामनगर , रुड़की, देहरादून में बाढ़ की स्थिति उतपन्न हो जाती है.

Uttrakhand: सरकार की लापरवाही से आता है बाढ़

पिछले साल बाढ़ से कई पुल बह गए थे. आबादी क्षेत्रों में बाढ़ आने का मुख्य कारण सरकार की लापरवाही है. सरकार ने नदियों के मुहानों पर जमा गाद, बोल्डर, मलुआ को नहीं हटाना है. जनहित याचिका में यह भी कहा गया कि सरकार ने उच्च न्यायलय के आदेश दिनांक 14 फरवरी 2023 का पालन नही किया गया. जिसकी वजह से प्रदेश में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई है. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य सरकार सम्बंधित विभागों को साथ लेकर नदियों से गाद, मलुवा बोल्डर हटाकर उन्हें चैनलाइजेशन करे. ताकि बरसात में नदियों का पानी बिना रूकावट के बह सके.

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