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भगवान बदरीविशाल के शीतकालीन प्रवास के नगर जोशीमठ का अस्तित्व खतरे में, धंसती जा रही जमीन

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भगवान बदरीविशाल के शीतकालीन प्रवास के नगर जोशीमठ का अस्तित्व खतरे में है। जोशीमठ में जमीन लगातार धंसती जा रही है। जमीन धंसने के कारण मकानों में बड़ी बड़ी दरारें आ गई हैं। नगर का लगभग 70 फीसदी क्षेत्र धंसाव की चपेट में है।जिसके कारण 574 मकानों में दरार आ गई हैं। इन मकानों में रहने वाले लगभग तीन हजार लोगों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। दरारों के कारण डरे लोग घर बार छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं। जो मजबूर हैं वो डरे सहमे इन्हीं घरों में रह रहे हैं। लोगों का कहना है कि आईटीबीपी के भवन के पानी का जमाव होने से जमीन धंस रही है जबकि कुछ लोग ऋषिगंगा के कटाव को इसकी वजह बता रहे हैं। वहीं लोग एनटीपीसी के टनल निर्माण और हेलंग मारवाड़ी बाईपास निर्माण को भी भू धंसाव की वजह मान रहे हैं। लोगों का कहना है कि जल्दी ही उनके पुनर्वास की व्यवस्था नहीं हुई तो ठंड के समय उनके सामने बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा।

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जमीन धंसने से दरारों के कारण जोशीमठ के दो होटलों को पर्यटकों के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है। प्रशासन भू धंसाव के कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रहा है। इस समस्या को लेकर नगरपालिका अध्यक्ष मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से जल्द मुलाकात की बात कह रहे हैं। नगरपालिका अध्यक्ष ने सीएम से मुलाकात के बाद इस मसले पर किसी ठोस कार्रवाई की उम्मीद जताई है।

प्रशासन के आंकलन और राहत देने की प्रक्रिया में समय लगेगा। लेकिन जोशीमठ में जोखिम उठा कर रह रहे लोगों को तत्काल मदद दिया जाना जरूरी है। जिससे भीषण ठंड और बर्फबारी के समय उन्हें राहत मिल सके। जोशीमठ में हो रहे धंसाव पर भी शासन प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है जिससे पौराणिक महत्व के इस नगर को सुरक्षित रखा जा सके।

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