उत्तराखंड में बड़ा हादसा, टनल में फंसे 40 मजदूर, ड्रिलिंग मशीनों से काटे जा रहे पत्थर
उत्तरकाशी, उत्तराखंड में पिछले चौबीस घंटे से निर्माणाधीन सिल्क्यारा टनल में चालीस कर्मचारी फंसे हुए हैं। पहले 36 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया था। उत्तरकाशी के CO प्रशांत कुमार ने सोमवार सुबह बताया कि सुरंग में चालिस कर्मचारी हैं और सभी सुरक्षित हैं।
CO ने कहा कि फंसे हुए कर्मचारियों को ऑक्सीजन और खाना दिया गया है। हम 15 मीटर तक टनल के अंदर गए हैं और लगभग 35 मीटर और जाना है। देर रात तक कर्मचारियों से संपर्क किया गया।
टनल का 50 मीटर का हिस्सा गिरने पर रविवार सुबह 4 बजे हादसा हुआ। ड्रिल मशीन मलबे को काट रही है। रेस्क्यू कार्य पूरी रात चलता रहा।
रेस्क्यू के लिए NDRF, SDRF, फायर ब्रिगेड, नेशनल हाईवे के करीब 156 लोग लगे हुए हैं। अफसरों के मुताबिक, मजदूरों को निकालने में 2 से 3 दिन का समय लग सकता है।
मजदूरों को वॉकी-टॉकी से संपर्क कर निकालने के लिए रास्ता बनाया जा रहा
डिस्ट्रिक्ट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर का कहना है कि फंसे हुए कर्मचारियों को निकालने का रास्ता बनाया जा रहा है। इसके लिए मलबे में ड्रिलिंग और ड्रेजिंग की जा रही है।
कर्मचारी वॉकी-टॉकी से संपर्क कर रहे हैं। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में फंसे हुए कामगार हैं।
क्यों सिल्क्यारा टनल बनाया जा रही है?
ये ऑल वेदर (हर मौसम में खुली रहने वाली) टनल चार धाम रोड प्रोजेक्ट के तहत बनाई जा रही हैं। इसके बनने के बाद उत्तरकाशी से यमुनोत्री धाम की दूरी २६ किमी घट जाएगी। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग धरासू से शुरू होता है, जो चारधाम यात्रा का मुख्य पड़ाव है। यह सड़क जानकीचट्टी पर समाप्त होती है। धरासू से जानकीचट्टी 106 किमी दूर है। राड़ी टाप क्षेत्र बीच में है।
यद्यपि, सर्दियों में बर्फबारी होने पर यमुनोत्री हाईवे राड़ी टाप क्षेत्र में बंद हो जाता है। जिससे उत्तरकाशी से यमुना घाटी के तीन तहसील मुख्यालयों बड़कोट, पुरोला और मोरी का संपर्क टूट जाता है। ऑलवेदर रोड परियोजना के तहत यहां डबल लेन सुरंग बनाने की योजना बनाई गई थी, जो चारधाम की यात्रा को आसान बनाएगा और राड़ी टाप में बर्फबारी की समस्या को दूर करेगा।
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