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Mid-Day Meal : दलित छात्रों ने सवर्ण महिला के हाथ का बना मिड-डे मील खाने से किया इंकार

Mid Day Meal

प्रतिकात्मक तस्वीर

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टनकपुर: उत्तराखंड में चंपावत जिले के एक स्कूल में दलित बच्चों ने मिड-डे-मील( Mid-Day Meal ) का खाना खाने से इंकार कर दिया। बच्चों का कहना था कि खाना बनाने वाली महिला सवर्ण जाति की हैं इसलिए वे सवर्ण के हाथों का बनाया हुआ भोजन नहीं खाएंगे।

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दरअसल बीते सप्ताह स्कूल के सवर्ण जाति के बच्चों ने भी यह कहकर मिड- डे मील खाने से इंकार कर दिया कि खाना बनाने वाली दलित जाति से ताल्लुक रखती थी। अब दलित बच्चों ने भी इसके जवाब में सवर्ण के हाथों का बना खाने से मना कर दिया।

क्या है पूरा मामला ?

दरअसल स्कूल में पहले एक दलित महिला को भोजन बनाने के लिए नियुक्त किया गया था, लेकिन सवर्ण छात्रों ने दलित महिला की नियुक्ति का विरोध जताया गया। दलित महिला को यह कहकर हटा दिया गया कि वो नियुक्ति मानकों को पूरा नहीं करती हैं। दलित महिला को हटाने के बाद उस स्थान पर एक सवर्ण महिला की नियुक्ति की गई, जिसके बाद दलित छात्र अड़ गए।

पूरे प्रकरण के बाद स्कूल के प्रिंसिपल ने मुख्य शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखा, जिसमें बताया गया, स्कूल में मिड-डे मील खाने वाले 58 बच्चों की मौजूदगी रही, जिसमें 23 दलित बच्चों ने मिड-डे मील खाने से इंकार कर दिया।

हिंदूस्तान टाइम्स के अनुसार प्रिंसिपल ने बताया कि सभी 23 बच्चों ने  सवर्ण महिला के हाथों बनी मिड-डे-मील खाने से मना कर दिया है और घर से टिफिन लाने की बात कही है।

5 वार्ड सदस्यों ने दिया इस्तीफा

बता दें इस घटना के बाद इलाके का पांच वार्ड सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया। वार्ड सदस्यों का कहना है कि ग्राम प्रधान ने इस मामले में उनका साथ नहीं दिया इसलिए वे इस्तीफा दे रहे है और जल्द ही ग्राम प्रधान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे।

वार्ड सदस्यों के इस्तीफे पर ग्राम प्रधान दीपक राम बयान जारी कर कहा, इलाके में फिजूल में अराजकता और जातिवाद को बढ़ाने का काम कुछ लोग कर रहे हैं। इसके साथ ही प्रधान ने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान सभी विकास कार्यों का ब्यौरा देने को राजी हैं।

क्या है मिड-डे मील (Mid-Day Meal)

मिड-डे मील मतलब मध्याह्न भोजन यानि दोपहर का खाना। मीड-डे मील भारत सरकार की एक योजना है जिसके अन्तर्गत पूरे देश के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों को दोपहर का भोजन निःशुल्क प्रदान किया जाता है। इस योजना को 15 अगस्त 1995 से चलाया जा रहा है। योजना को बच्चों में पौष्टिकता को बढ़ाने, स्कूल में नामांकन में सुधार, स्कूल में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए शुरु किया गया था।  

कोरोनाकाल के दौरान जब बच्चों के स्कूल बंद थे तब सरकार ने सभी बच्चों के खाते में पैसे भेजे थे। मिड डे मील योजना के तहत प्राइमरी के छात्रों को प्रति मिल प्रतिदिन के हिसाब से 4.79 रुपए दिए गए। राज्य में उच्च माध्यमिक के छात्रों के लिए सरकार हर साल 208 करोड़ की बजट आवंटित करती है।

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