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हिन्दू बन गए शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी, कहा- सनातन धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म

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गाजियाबाद: यूपी शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी सनातन धर्म के शरण में आ गए हैं। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरि ने वसीम रिजवी को इस्लाम से सनातन धर्म का ग्रहण कराया और इसके बाद रिजवी का नया नामकरण हुआ। नए नामाकरण के बाद रिजवी का नाम अब जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी रख दिया गया है।

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नरसिंहानंद गिरि ने बताया कि वसीम रिजवी मृत्यु के बाद शव का अंतिम संस्कार हिन्दू रीति-रिवाज करने की इच्छा रखते हैं। नरसिंहानंद गिरि ने बताया कि रिजवी 5 नवंबर को डासना मंदिर आए थे और वहीं से उन्होंने ऐसा ऐलान किया।

रिजवी ने कहा कि जब मुझे इस्लाम से निकाल ही दिया गया है, तो ये मेरी मर्जी है कि मैं किस धर्म को स्वीकार करूं। हर जुमे की नमाज के बाद हमारा सिर काटने के लिए फतवे दिए जाते हैं तो ऐसी परिस्थिति में हमको कोई मुसलमान कहे, इससे हमको खुद शर्म आती है। रिजवी ने आगे कहा, मैंने सनातन धर्म चुना, क्योंकि दुनिया का सबसे पुराना धर्म है। वसीम रिजवी के सनातन धर्म ग्रहण करने के बाद उनका शुद्धिकरण किया गया। हवन-यज्ञ भी किया गया। सारे अनुष्ठान महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरि की देखरेख में किए गए। 

कौन है वसीम रिजवी ?

वसीम रिजवी यूपी शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन रह चुके है। रिजवी ने देश की 9 मस्जिदों को हिंदुओं को सौंप दिए जाने की बात उठाई थी। मदरसों को आतंकवाद का जड़ बताया था। कुतुब मीनार परिसर में स्थित मस्जिद को भारत की धरती पर कलंक बताया था।

जीवन की शुरुआत में उन्होंने जापान और अमेरिका में भी काम किया था लेकिन फिर वे लौट के भारत चले आए और राजनीति में पैर पसारने लगे। इस दौरान वे शिया वक्फ बोर्ड के सदस्य बने। रिजवी ने दो शादियां की है।

साल 2010 में शिया वक्फ बोर्ड पर भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बाद तत्कालीन चेयरमैन जमालुद्दीन अकबर ने इस्तीफा दे दिया और इसके बाद वसीम रिजवी शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष बन गए।

वसीम रिजवी पर कई मुकदमे दर्ज किए गए हैं। शिया वक्फ संपत्तियों को गैर कानूनी तरीके से बेचने, खरीदने और हस्तांतरित करने के आरोप में भी मामला दर्ज हैं।


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