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UP: बीजेपी अध्यक्ष की किसे मिलेगी कमान? इन दो नामों को लेकर चर्चा सबसे ज्यादा

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उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष के लिए अभी तक जो नाम चर्चा में आए है, वो सभी नाम ब्राह्मण समुदाय से है। ब्राह्मण समुदाय के नाम पर चर्चा के पीछे एक बड़ी वजह यह है कि बीजेपी पिछले दो दशक से लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी की कमान यूपी में उन्हीं के हाथ में देती है।

बीजेपी
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उत्तर प्रदेश की सत्ता पर बीजेपी लगातार दूसरी बार काबिज हो चुका है। आज से ठीक एक महीने पहले योगी 2.0 सरकार ने शपथ ली थी। ऐसे में बीजेपी अध्यक्ष पद को लेकर चर्चा जोरों पर है। यूपी में अध्यक्ष पद के लिए भाजपा सभी सियासी समीकरणों को परख रही है और इसके लिए जातिगत और क्षेत्रिय गुणा- भाग कर रही है। ताकि लोकसभा चुनाव में पार्टी एक बार फिर पिछले दो चुनावों को प्रदर्शन को दोहरा सके।

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उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष के लिए अभी तक जो नाम चर्चा में आए है, वो सभी नाम ब्राह्मण समुदाय से है। ब्राह्मण समुदाय के नाम पर चर्चा के पीछे एक बड़ी वजह यह है कि बीजेपी पिछले दो दशक से लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी की कमान उन्हीं के हाथ में देती है। ऐसे में मिली जानकारी के मुताबिक, यूपी भाजपा के अध्यक्ष पर के लिए कुछ नाम फाइनल भी कर दिए है।

जिन नामों को यूपी भाजपा ने तय किया है, उनमें से एक नाम जो सबसे आगे चल रहा वो है सांसद सतीश कुमार गौतम का है। सतीश बीजेपी के अलीगढ़ सांसद है। इनका नाम सबसे आगे होने के दो अहम वजह हैं। पहला, जातीय और क्षेत्रीय समीकरण में फीट बैठना। दूसरी, पश्च्मि यूपी का वह बढ़ा ब्राह्मण चेहरा है।

आखिर क्यों सतीश गौतम का नाम रेस में सबसे आगे?

सतीश गौतम 2014 में पहली बार अलीगढ़ से बीजेपी की टिकट पर सांसद चुने गए। 2019 में फिर से भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाया और वह दोबारा अलीगढ़ से सांसद बने। भाजपा सांसद सतीश गौतम ने अपने कार्यकाल के दौरान अलीगढ़ में भाजपा का वर्चस्व स्थापित किया अलीगढ़ को सात विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, दो एमएलसी देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शायद भाजपा हाईकमान ने सतीश गौतम को अलीगढ़ में भाजपा राज कायम करने का इनाम दिया है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में लगी हुई जिन्ना की तस्वीर को हटाने के लिए बयान देने पर अलीगढ़ सांसद सतीश गौतम चर्चा में आए थे। सांसद सतीश गौतम की छवि कट्टर हिंदूवादी की है।

रेस में दूसरा नाम- सुब्रत पाठक का

सुब्रत ने अखिलेश यादव के गढ़ कन्नौज लोकसभा सीट से डिंपल यादव को हराया था। हालांकि उन्हें केंद्र कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई। ऐसे में माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए अखिलेश को उनके गढ़ में घेरने के मकसद से बीजेपी आलाकमान उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बना सकता है।

वहीं 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान केशरीनाथ त्रिपाठी उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष थे जबकि 2009 लोकसभा चुनाव के दौरान रमापति राम त्रिपाठी के हाथ में उत्तर प्रदेश बीजेपी की कमान थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में ब्राह्मण नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी प्रदेश अध्यक्ष थे, जिनके अगुवाई में बीजेपी ने 71 सीटों के साथ ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। 2019 के लोकसभा चुनाव के समय बीजेपी ने महेंद्र नाथ पांडेय को उत्तर प्रदेश में संगठन की कमान सौंपी हुई थी, जिनकी अगुवाई में बीजेपी 63 सीटें जीतने में सफल रही।

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