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इस स्कूल में पढ़ने की फीस है बेकार प्लास्टिक बोतलें

इस स्कूल में पढ़ने की फीस है बेकार प्लास्टिक बोतलें

इस स्कूल में पढ़ने की फीस है बेकार प्लास्टिक बोतलें

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गाजियाबाद के इंदिरापुरम में पिछले दो सालों से एक अनोखा फुटपाथ स्कूल चल रहा है। इस स्कूल में हर दिन करीब 40 बच्चे पढ़ने आते हैं। यहां पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें खाना, यूनिफार्म और स्टेशनरी जैसी चीजें भी मिलती हैं, लेकिन यह सब कुछ उन्हें मुफ्त में नहीं मिलता। इन सबके लिए बच्चों को एक स्पेशल फीस जमा करनी पड़ती है, जो है वेस्ट प्लास्टिक।

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गाजियाबाद के इंदिरापुरम में चल रहे इस फुटपाथ स्कूल के बच्चों ने पिछले दो साल में सैकड़ों किलो प्लास्टिक वेस्ट जमा  करके एक या दो नहीं बल्कि 4000 ईको-ब्रिक्स बनाई हैं।  पर्यावरण संरक्षण के साथ शिक्षा की यह अनोखी पहल की है NTPC की एक रिटायर्ड अधिकारी नीरजा सक्सेना ने।

‘नीरजा फुटपाथ स्कूल’ में वह रोज़ 35 से 40 बच्चों को पढ़ाती हैं। इसके साथ ही वह इन बच्चों को बुनियादी जरूरतें जैसे स्कूल बैग, यूनिफॉर्म और खाना भी मुहैया करवाती हैं। इस नेक काम को शुरू करने का ख्याल उन्हें कोरोना के दौरान आया।आसपास की बस्तियों में खाना देने जाते समय उन्होंने देखा कि बच्चे खाना तो कहीं न कहीं से जुटा लेते हैं लेकिन शिक्षा की रोशनी से कोसों दूर हैं। ये सब देख कोरोना काल के बाद उन्होंने इन बच्चों की पढ़ाई की ज़िम्मेदारी ले ली।

आज यहां पढ़ने वाले कई बच्चे स्कूल भी जाने लगे हैं। उनके निरंतर प्रयास का ही नतीजा है कि आज ये बच्चे शिक्षा के साथ पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी जागरूक हो रहे हैं। आज ये बच्चे कहीं भी बेकार प्लास्टिक देखते हैं तो उससे ईको-ब्रिक्स बना देते हैं। साथ ही दूसरों को भी कचरा  फ़ैलाने से रोकते हैं। नीरजा  हर तीन महीने में जमा हुए प्लास्टिक को रीसाइकल के लिए भेज देती हैं। देश के भविष्य को संवारने वाले बच्चों में बदलाव की लौ जलाने का नीरजा का यह प्रयास वाकई तारीफ के काबिल है। अगर आप भी पर्यावरण और इंसानियत से जुड़ा कोई ऐसा ही काम कर रहे हैं।

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