जानें कैसे हुआ संजीव जीवा हत्याकांड, पुलिस की रडार पर डॉन के दो करीबी
उत्तर प्रदेश के लखनऊ कोर्ट में संजीव जीवा माहेश्वरी की हत्या गरी साजिश, सटीक मुखबिरी और अपनों की गद्दारी का नतीजा थी। हत्याकांड की जांच कर रही पुलिस को अब तक यही लग रहा है। बाराबंकी जेल में रहने के दौरान संजीव जीवा माहेश्वरी की जब भी मुजफ्फरनगर कोर्ट में पेशी हुई तो जीवा पूरी सुरक्षा के साथ बुलेट प्रूफ जैकेट पहनकर पेशी पर पहुंचता था। संजीव माहेश्वरी की सुरक्षा में 8 कांस्टेबल, 2 हेड कांस्टेबल, 1 एसआई और 1 इंस्पेक्टर सुरक्षा में लगाए जाते थे। बाराबंकी जेल से लखनऊ जेल ट्रांसफर हुआ तो उनकी कोर्ट में पेशी महीने में एक बार होती थी।
बीते 4 सालों से संजीव जीवा माहेश्वरी की लखनऊ कोर्ट में सेट पैटर्न पर पेशी हो रही थी। महीने में एक बार संजीव जीवा माहेश्वरी लखनऊ कोर्ट लाया जाता था। लेकिन, बीते डेढ़ महीने में यह पेशी का पैटर्न अचानक बदल गया। पहले 2 हफ्ते में एक बार बुलाया जाता था। फिर हफ्ते में तीसरे दिन यानी सप्ताह में दो बार संजीव जीवा की कोर्ट में पेशी लगने लगी। मई के आखिरी सप्ताह में तो संजीव जीवा की 1 सप्ताह में लगातार तीन बार पेशी लगाई गई और उसे जेल से बुलाया गया। जून शुरू हुआ तो संजय जीवा के केस की तीन पेशी लगीं। पहली 2 जून, दूसरी 5 जून और फिर 7 जून, जिस दिन कोर्ट में उसकी हत्या कर दी गई। पुलिस को शक है संजीव जीवा की लगातार हो रही पेशी भी उसकी हत्या की साजिश का हिस्सा थी।
पुलिस इस एंगल पर भी तफ्तीश कर रही है कि आखिर संजीव जीवा की कोर्ट में इतनी जल्दी पेशी क्यों लग रही थी? जीवा की तरफ से उसके वकीलों ने कोई आपत्ति क्यों नहीं दर्ज करवाई? या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी की मांग क्यों नहीं की गई? वहीं, पेशी पर बुलेट प्रूफ जैकेट पहनने वाले संजीव जीवा ने 7 जून को जैकेट क्यों नहीं पहनी पुलिस के जहन में यह सवाल खटक रहा है। पुलिस को शक है कि संजीव जीवा के एक करीबी ने उसे बुलेट प्रुफ जैकेट नहीं पहनने दी और दूसरे करीबी ने संजीव जीवा के कोर्ट पहुंचने की सटीक मुखबिरी कचहरी के बाहर खड़े होकर की।
इसी करीबी के इशारे पर अनजान शहर से आया विजय यादव पहली बार वकील के वेश में बेरोकटोक पुरानी हाईकोर्ट बिल्डिंग की एससी कोर्ट में रही संजीव माहेश्वरी के केस की सुनवाई में उसके करीब तक पहुंच गया। पुलिस को अब इस हत्याकांड में इन दो किरदारों की तलाश है।